उत्तराखंड में नए साल पर शराब बिक्री ने तोड़े रिकॉर्ड, 14 करोड़ रुपये से अधिक का राजस्व
देहरादून: नए साल के जश्न में प्रदेशवासियों ने जाम छलकाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। 31 दिसंबर को, राज्य में शराब की बिक्री ने सभी रिकॉर्ड तोड़ते हुए 14 करोड़ रुपये से अधिक का राजस्व अर्जित किया। आबकारी विभाग के आंकड़ों के अनुसार, यह आंकड़ा सामान्य दिनों की तुलना में लगभग दोगुना अधिक था। खास बात यह है कि इस राजस्व में सबसे अधिक योगदान देहरादून और नैनीताल जिलों का रहा, जिनकी भागीदारी कुल बिक्री में आधे से ज्यादा थी।
उत्तराखंड में नए साल के मौके पर शराब की बिक्री के आंकड़े यह साबित करते हैं कि पर्वतीय राज्य में इस अवसर पर उत्साह और धूमधाम चरम पर था। इसके साथ ही आबकारी महकमे के लिए यह एक बड़ा वित्तीय मील का पत्थर साबित हुआ है।
शराब बिक्री में दोगुना राजस्व और रिकॉर्ड तोड़ बिक्री
31 दिसंबर को पूरे प्रदेश में शराब परोसने के लिए कुल 600 वन डे बार लाइसेंस जारी किए गए थे, जिनमें से सबसे अधिक देहरादून जिले में थे। आम दिनों के मुकाबले, नए साल की रात को विशेष रूप से रेस्टोरेंट और बार को रात दो बजे तक खोलने की अनुमति दी गई थी। राज्य सरकार की ओर से दिए गए निर्देशों के तहत यह अनुमति रात के अधिकतम समय तक दी गई, ताकि लोग न सिर्फ जश्न मना सकें, बल्कि शराब की बिक्री भी बिना किसी रुकावट के होती रहे।
इस खास रात में, राज्य के आबकारी विभाग को कुल 14.27 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ, जिसमें सबसे अधिक योगदान अंग्रेजी शराब की बिक्री का था। 37,161 पेटियां अंग्रेजी शराब की बेची गईं। इसके अलावा, बियर और देसी शराब की बिक्री में भी बड़ी वृद्धि देखी गई। बियर की 9,436 पेटियां और देसी शराब की 11,206 पेटियां बेची गईं।
देहरादून और नैनीताल का प्रमुख योगदान
देहरादून और नैनीताल में शराब की बिक्री ने अन्य जिलों को पछाड़ते हुए प्रमुख स्थान हासिल किया। दोनों जिलों की भागीदारी कुल राजस्व में आधे से अधिक रही। यह आंकड़ा साबित करता है कि नए साल के मौके पर इन दो जिलों में बड़ी संख्या में लोग बाहर निकले और जश्न में शरीक हुए।
देहरादून में ही सबसे अधिक वन डे बार लाइसेंस जारी किए गए थे, और यहां की शराब बिक्री ने राज्य में सबसे अधिक राजस्व प्राप्त किया। इसके बाद नैनीताल का नंबर आता है, जहां भी पर्यटकों और स्थानीय निवासियों ने इस रात को बड़े धूमधाम से मनाया।
शराब बिक्री में बियर और देसी शराब की भी अहम भूमिका
अंग्रेजी शराब के बाद, बियर और देसी शराब की बिक्री भी इस बार चौंकाने वाली रही। पिछले सालों की तुलना में बियर की बिक्री में इस बार बहुत बढ़ोतरी हुई, जबकि देसी शराब की बिक्री में भी भारी वृद्धि देखी गई। जहां सामान्य दिनों में देसी शराब की बिक्री में औसतन 5,000 से 6,000 पेटियां बिकती थीं, वहीं 31 दिसंबर को इस आंकड़े ने 11,206 पेटियों का आंकड़ा पार किया।
इससे यह स्पष्ट होता है कि नए साल के मौके पर विभिन्न प्रकार की शराब की बिक्री ने एक नया रिकॉर्ड स्थापित किया। प्रदेशवासियों ने शराब के विभिन्न प्रकारों को खरीदने में उत्साह दिखाया और इसके साथ ही आबकारी महकमे के लिए एक बड़ी वित्तीय राहत भी प्रदान की।
200 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी, वित्तीय लक्ष्य पर सफलता
उत्तराखंड के आबकारी विभाग ने इस वर्ष 200 करोड़ रुपये अधिक राजस्व प्राप्त किया है, जो पिछले साल की तुलना में एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है। राज्य सरकार का वित्तीय लक्ष्य इस वर्ष 4,400 करोड़ रुपये का है, और इस लक्ष्य की ओर बढ़ते हुए आबकारी विभाग नए साल के अवसर पर शानदार शुरुआत करने में सफल रहा है।
आबकारी विभाग के अधिकारी इस बढ़ी हुई बिक्री और राजस्व के लिए सख्त प्रवर्तन को श्रेय दे रहे हैं। विभाग ने यह सुनिश्चित किया था कि अवैध शराब की बिक्री पर सख्त कार्रवाई की जाए और केवल वैध तरीके से शराब की बिक्री हो। इस सख्ती के कारण ही इस बार वन डे बार लाइसेंस की संख्या भी पिछले साल की तुलना में दोगुना हुई थी, जिससे शराब की बिक्री और राजस्व में वृद्धि हुई।
प्रवर्तन कार्रवाई का असर
इस साल की शराब बिक्री में सुधार और वृद्धि के पीछे एक बड़ा कारण प्रवर्तन की सख्त कार्रवाई भी रही। आबकारी महकमे ने अवैध शराब के कारोबार पर कड़ी निगरानी रखी और किसी भी प्रकार के नियमों के उल्लंघन पर त्वरित कार्रवाई की। इस कारण राज्य में शराब की वैध बिक्री में वृद्धि हुई और विभाग को अधिक राजस्व प्राप्त हुआ।
आबकारी विभाग का मानना है कि अगर यह प्रवर्तन की नीति इसी तरह जारी रही, तो आने वाले वर्षों में भी शराब की बिक्री से प्राप्त होने वाला राजस्व और भी बढ़ सकता है। इसके अलावा, इस सख्त प्रवर्तन नीति ने यह सुनिश्चित किया कि राज्य में शराब के दुरुपयोग को कम किया जा सके और केवल उचित स्थानों पर ही शराब की बिक्री हो।