हरिद्वार में राजकीय मेडिकल कॉलेज को पीपीपी मोड पर देने का विरोध: छात्र-छात्राओं का प्रदर्शन जारी
हरिद्वार: उत्तराखंड के हरिद्वार स्थित राजकीय मेडिकल कॉलेज को पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मोड पर देने के राज्य सरकार के फैसले के खिलाफ विरोध की लहर तेज़ हो गई है। छात्र-छात्राएं पिछले कई दिनों से इस निर्णय का विरोध कर रहे हैं, और उनका कहना है कि इससे शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं पर प्रतिकूल असर पड़ेगा।
पुलिस द्वारा छात्रों को कॉलेज में बंद किए जाने की घटना
इस विरोध प्रदर्शन ने शुक्रवार को एक नया मोड़ लिया, जब कॉलेज के छात्रों ने मुख्यमंत्री से वार्ता के लिए देहरादून जाने की योजना बनाई। हालांकि, पुलिस प्रशासन ने उन्हें देहरादून जाने से रोकने के लिए हर संभव कदम उठाया। छात्रों का आरोप है कि कॉलेज गेट पर ताला लगाकर उन्हें अंदर ही बंद कर दिया गया। इसके अलावा, कॉलेज में विरोध कर रहे छात्रों के लिए एक बस का प्रबंध किया गया था, लेकिन पुलिस ने बस के ड्राइवर को भी बाहर निकाल दिया, जिससे छात्रों को देहरादून जाने का रास्ता पूरी तरह से बंद हो गया।
छात्रों का विरोध तीसरे दिन भी जारी
इस घटनाक्रम के बीच, छात्र और छात्राएं तीसरे दिन भी अपनी कक्षाओं को छोड़कर कॉलेज के अंदर विरोध प्रदर्शन में जुटे रहे। उनका कहना है कि यदि सरकार ने उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया, तो वे और भी कड़े कदम उठाएंगे। छात्रों के अनुसार, मेडिकल कॉलेज को पीपीपी मोड पर देने से उनकी शिक्षा की गुणवत्ता प्रभावित होगी, साथ ही कॉलेज के प्रबंधन में भी पारदर्शिता की कमी आ सकती है।
एक छात्रा की तबीयत बिगड़ी
विरोध प्रदर्शन के दौरान एक छात्रा की तबीयत अचानक बिगड़ गई। उसे तुरंत मेडिकल सहायता दी गई, लेकिन इस घटना ने प्रदर्शन में भाग ले रहे छात्रों के बीच चिंता का माहौल पैदा कर दिया। छात्रों का कहना है कि ऐसी स्थिति में प्रशासन को उनके विरोध को शांतिपूर्वक और बिना किसी रुकावट के करने की अनुमति देनी चाहिए, ताकि किसी और छात्र की तबीयत बिगड़ने से बची जा सके।
पीपीपी मोड पर कॉलेज देने के फायदे और नुकसान
राज्य सरकार का कहना है कि मेडिकल कॉलेज को पीपीपी मोड पर देने से सरकारी वित्तीय दबाव कम होगा और शिक्षा क्षेत्र में निवेश बढ़ेगा। सरकार का मानना है कि निजी निवेशकों के साथ साझेदारी से कॉलेज की सुविधाएं बेहतर हो सकती हैं और छात्रों को बेहतर शिक्षण सामग्री और इन्फ्रास्ट्रक्चर मिल सकता है।
हालांकि, छात्रों और शिक्षकों का कहना है कि इस योजना का मुख्य उद्देश्य सरकारी संस्थाओं को निजी हाथों में देना है, जो छात्र हितों के खिलाफ हो सकता है। उनका मानना है कि निजी कंपनियां केवल मुनाफा कमाने के लिए कार्य करेंगी, और यह शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में गिरावट का कारण बनेगा।
छात्रों के समर्थन में विभिन्न संगठनों की प्रतिक्रिया
हरिद्वार मेडिकल कॉलेज के छात्रों के आंदोलन को विभिन्न सामाजिक और छात्र संगठनों का समर्थन प्राप्त हो रहा है। कई संगठनों ने इस मुद्दे पर धरना प्रदर्शन किए हैं और राज्य सरकार से इस निर्णय पर पुनर्विचार करने की अपील की है। इन संगठनों का कहना है कि अगर सरकार ने इस निर्णय को लागू किया, तो इसके दूरगामी परिणाम छात्रों और उनके परिवारों के लिए गंभीर हो सकते हैं।
सरकार का पक्ष
राज्य सरकार ने इस विरोध प्रदर्शन को अनुशासनहीनता और अव्यवस्था के रूप में देखा है। सरकार का कहना है कि यह निर्णय छात्रों के भले के लिए लिया गया है और यह सुनिश्चित किया जाएगा कि सभी सुविधाएं और संसाधन छात्रों को बेहतर तरीके से मिलें। सरकार ने छात्रों से शांति बनाए रखने और उनके भविष्य को लेकर सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाने की अपील की है।
राज्य के स्वास्थ्य मंत्री ने भी इस मामले में बयान दिया और कहा कि राज्य सरकार मेडिकल शिक्षा में सुधार के लिए प्रतिबद्ध है और यह कदम उसी दिशा में उठाया गया है। स्वास्थ्य मंत्री ने यह भी कहा कि निजी साझेदारी के कारण कॉलेज में नई तकनीक और संसाधन आ सकते हैं, जो छात्रों के लिए फायदेमंद होंगे।