Mahakumbh 2025: पौष पूर्णिमा पर संगम तट पर श्रद्धालुओं का अद्भुत नजारा, आस्था और उत्साह की बाढ़
प्रयागराज: महाकुंभ 2025 के पहले स्नान पर्व के अवसर पर संगम तट पर एक अद्भुत नजारा देखने को मिला। पौष पूर्णिमा के पावन अवसर पर देशभर से लाखों श्रद्धालुओं ने गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम पर आस्था की डुबकी लगाई। आधी रात से ही श्रद्धालु संगम तट पर जुटने लगे थे और आस्था के इस महान पर्व का आनंद लेने के लिए दूर-दूर से आए लोग पवित्र स्नान में सहभागी बने। महाकुंभ का यह स्नान पर्व न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक था, बल्कि भारतीय संस्कृति और सनातन परंपराओं का उत्सव भी था।
संगम तट पर गूंजते जयकारे, सुरक्षा व्यवस्था में अभूतपूर्व इंतजाम
महाकुंभ के पहले स्नान पर्व पर संगम तट पर श्रद्धालुओं का उत्साह और आस्था चरम पर थी। “हर-हर गंगे” और “जय श्रीराम” के गगनभेदी जयकारों से पूरा मेला क्षेत्र गूंज उठा। इस पावन अवसर पर उत्तर प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री एके शर्मा ने श्रद्धालुओं का स्वागत माला पहनाकर किया और उनका आशीर्वाद प्राप्त किया।
वहीं, मेला क्षेत्र में सुरक्षा की दृष्टि से अभूतपूर्व इंतजाम किए गए थे। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर मेला क्षेत्र में सुरक्षा व्यवस्था का सख्त ध्यान रखा गया था। इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर से चप्पे-चप्पे की निगरानी की जा रही थी। डीआईजी और एसएसपी खुद पूरे आयोजन की मॉनिटरिंग कर रहे थे। पुलिस बल और सुरक्षा कर्मियों की भारी तैनाती की गई थी ताकि श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। आधी रात और तड़के से ही पुलिस बल पूरी तरह मुस्तैद था और संगम तट की सुरक्षा व्यवस्था को सख्ती से लागू किया गया।
श्रद्धालुओं में आस्था और उत्साह का अद्भुत आलम
संगम स्नान के इस ऐतिहासिक अवसर पर हर आयु वर्ग के श्रद्धालु उपस्थित थे। बच्चे, बुजुर्ग और महिलाएं तड़के से ही संगम तट पर पहुंचने लगे थे। कुछ श्रद्धालु सिर पर गठरी उठाए हुए थे, तो कुछ दूसरों के साथ आस्था की डुबकी लगाने के लिए चल रहे थे। इस दिन की महिमा को महसूस करने के लिए श्रद्धालुओं का उत्साह देखने लायक था।
संगम तट के प्रमुख घाटों जैसे संगम नोज, एरावत घाट और वीआईपी घाट पर श्रद्धालु स्नान करते नजर आए। युवा वर्ग, जो सोशल मीडिया पर अपनी गतिविधियां साझा करने में हमेशा तत्पर रहता है, इस पावन स्नान को कैमरे में कैद कर रहा था और इसे सोशल मीडिया पर वायरल कर रहा था। इन तस्वीरों और वीडियो को देखकर अन्य लोग भी इस धार्मिक उत्सव में शामिल होने के लिए प्रेरित हो रहे थे।
सनातन संस्कृति और आध्यात्मिकता के प्रति युवाओं में उत्साह
महाकुंभ के इस आयोजन में एक दिलचस्प पहलू यह था कि इस बार युवाओं में सनातन संस्कृति और आध्यात्मिकता के प्रति विशेष उत्साह देखने को मिला। बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक ने संगम स्नान और दान-पुण्य में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। स्नान के बाद श्रद्धालुओं ने संगम तट पर पूजा-अर्चना की और पवित्र दान देकर पुण्य लाभ अर्जित किया। यह दृश्य एक बार फिर यह प्रमाणित करता है कि भारतीय संस्कृति और धार्मिक परंपराओं का प्रभाव समय के साथ भी कम नहीं हुआ है।
यह महाकुंभ सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं था, बल्कि यह सनातन संस्कृति का उत्सव था, जो भारत की गौरवमयी धार्मिक धरोहर को दर्शाता है। श्रद्धालुओं ने इस मौके पर अपने पारंपरिक रीति-रिवाजों का पालन करते हुए पवित्र स्नान किया और अपनी आस्था को प्रकट किया।
मौसम ने भी दिया साथ, इंद्रदेव की कृपा
महाकुंभ के पहले स्नान पर्व के दौरान इंद्रदेव ने भी अपनी कृपा बरसाई। एक दिन पहले हुई हल्की बारिश के बाद संगम तट पर ठंडी हवा और हल्की आंधी ने श्रद्धालुओं के अनुभव को और भी पवित्र बना दिया। स्नान के दौरान वातावरण में ताजगी और शांति का अहसास हो रहा था। ऐसे में श्रद्धालु पवित्र गंगा और यमुना के संगम में डुबकी लगाते हुए अपनी मनोकामनाओं को पूरा करने की कामना कर रहे थे।
संगम तट पर आस्था का जो अद्भुत संगम था, वह श्रद्धालुओं के चेहरों पर गहरी संतुष्टि और आभार के भाव को दिखा रहा था। यह दृश्य न केवल भारत की धार्मिक परंपराओं को जीवित रखने का प्रतीक था, बल्कि पूरे विश्व को भारत की अद्वितीय धार्मिक धरोहर और सांस्कृतिक गौरव का अहसास भी करा रहा था।
सोशल मीडिया पर वायरल हो रही श्रद्धालुओं की तस्वीरें
महाकुंभ के पहले स्नान पर्व की तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहे हैं। श्रद्धालु अपनी आस्था और संस्कृति पर गर्व महसूस करते हुए इन तस्वीरों को साझा कर रहे हैं। यह न केवल एक धार्मिक पर्व था, बल्कि यह भारतीय संस्कृति के प्रति श्रद्धा और सम्मान का उत्सव भी था।
युवाओं ने इस अवसर पर अपनी संस्कृति और परंपराओं को सोशल मीडिया के माध्यम से फैलाया। जो लोग मेला क्षेत्र में नहीं पहुंच सके, वे इन तस्वीरों और वीडियो के माध्यम से महाकुंभ के अद्भुत स्नान पर्व का हिस्सा बन रहे थे।