UTTARAKHAND के पर्यटन क्षेत्र में असीमित संभावनाओं पर चर्चा, प्रवासी उत्तराखंडी सम्मेलन का द्वितीय सत्र
उत्तराखंड सरकार और पर्यटन क्षेत्र के विशेषज्ञों ने राज्य के पर्यटन क्षेत्र में असीमित संभावनाओं पर प्रकाश डाला है। अंतरराष्ट्रीय प्रवासी उत्तराखंड सम्मेलन के द्वितीय सत्र में पर्यटन विशेषज्ञों और प्रवासी उत्तराखंडियों ने इस बात पर जोर दिया कि उत्तराखंड पर्यटन के क्षेत्र में नित नई ऊँचाइयों को छू रहा है। इस सत्र के दौरान पर्यटन के विभिन्न पहलुओं जैसे साहसिक पर्यटन, पर्यटन सर्किट, होम स्टे और आयुष व वैलनेस पर गहन चर्चा की गई।
उत्तराखंड सरकार के पर्यटन विभाग के सचिव सचिन कुर्ते और अपर सचिव अभिषेक रोहेला ने द्वितीय सत्र में उपस्थित होकर राज्य की विभिन्न पर्यटन योजनाओं के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि कोविड-19 महामारी के बावजूद उत्तराखंड ने पर्यटन क्षेत्र में उल्लेखनीय वृद्धि की है। चार धाम यात्रा में रिकार्ड संख्या में श्रद्धालु उमड़ रहे हैं और सरकार ने इस बार शीतकालीन यात्रा की शुरुआत की है जो बहुत सफल रही है। इसके अलावा राज्य सरकार ने साहसिक पर्यटन, होम स्टे और पर्यटन सर्किट को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं। सचिन कुर्ते ने कहा, “उत्तराखंड पर्यटन के क्षेत्र में अग्रणी बन चुका है और इसके विकास में प्रवासी उत्तराखंडियों का भी महत्वपूर्ण योगदान है। हम राज्य में पर्यटकों को एक सुरक्षित और सुखद अनुभव प्रदान करने के लिए काम कर रहे हैं।” अपर सचिव अभिषेक रोहेला ने उत्तराखंड के टूरिज्म पॉलिसी का जिक्र करते हुए कहा कि सरकार ने स्थानीय समुदायों को रोजगार देने और पर्यावरण के संरक्षण के लिए कई योजनाओं की शुरुआत की है। उन्होंने कहा कि “हमारे द्वारा शुरू किए गए होम स्टे और साहसिक पर्यटन जैसे प्रोजेक्ट्स से स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा और पर्यटकों को एक अनूठा अनुभव मिलेगा।”
ताज ग्रुप के आईएचसीएल के जीएम मनोज मिश्रा ने उत्तराखंड में पर्यटन के क्षेत्र में ताज गु्रप के योगदान की बात की। उन्होंने कहा कि उनके समूह के 17 होटल उत्तराखंड में हैं और जल्द ही देहरादून में एक और प्रोजेक्ट शुरू किया जाएगा। मनोज मिश्रा ने पर्यटन उद्योग में सतत विकास, पर्यावरणीय संरक्षण और स्थानीय निवासियों के लिए रोजगार सृजन पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “हम उत्तराखंड में सतत विकास की दिशा में काम कर रहे हैं और पर्यावरण की रक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रहे हैं।” स्टारकैप्स के मेंटर व एकेडेमिक हेड अमिताभ पांडेय ने एस्टो टूरिज्म पर अपनी बात रखी। उन्होंने कौसानी में नक्षत्र सभा की स्थापना के अनुभव साझा किए और कहा कि उत्तराखंड में आकर पर्यटन का अनुभव और अधिक शानदार हो सकता है। उनके अनुसार उत्तराखंड की प्राकृतिक सुंदरता और वनों की सघनता इसे एस्टो टूरिज्म के लिए एक आदर्श स्थान बनाती है।
राजस एरो स्पोर्ट्स एंड एडवेंचर प्राइवेट लिमिटेड के सीईओ मनीष सैनी ने हेली सेवा के माध्यम से उत्तराखंड को जोड़ने के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि हिमालय में कई ऐसी जगहें हैं, जहां तक पहुंच पाना मुश्किल है, लेकिन हेली सेवा इन स्थानों तक पर्यटकों को पहुंचाने का एक बेहतरीन तरीका है। मनीष सैनी ने अपनी प्रस्तावित “जायरो एक्सपेडिशन” का भी जिक्र किया और बताया कि जल्द ही इस पर काम शुरू होगा, जिससे उत्तराखंड के दूरस्थ इलाकों तक भी पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। ईको ग्लैंपस कानाताल के फाउंडर व सीईओ संजीव शर्मा ने पर्यावरणीय दृष्टिकोण से ग्लैंपिंग पर्यटन के फायदे बताए। उन्होंने कहा कि ग्लैंपिंग पर्यटन स्थानीय लोगों के लिए रोजगार का बड़ा जरिया बन सकता है। उन्होंने अपनी संस्था के कामों का उल्लेख करते हुए बताया कि ग्लैंपिंग से स्थानीय समुदाय को जोड़े जाने के साथ-साथ पर्यावरण का भी ध्यान रखा जा सकता है। संजीव शर्मा ने विशेष रूप से महिलाओं की भागीदारी को बढ़ावा देने के महत्व को रेखांकित किया।
आयुर्वेद विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. एके त्रिपाठी ने उत्तराखंड के आयुष और वैलनेस पर्यटन के क्षेत्र में वृद्धि की संभावना पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि आयुष के प्रति वैश्विक रुचि बढ़ी है, जिसका उदाहरण हाल ही में आयोजित वर्ल्ड आयुष कांग्रेस है। उन्होंने उत्तराखंड को आयुष राज्य के रूप में पेश करते हुए कहा कि राज्य में दुर्लभतम औषधीय पौधे उपलब्ध हैं, जिनका उपयोग वैश्विक स्तर पर किया जा सकता है। डॉ. त्रिपाठी ने ऋषिकेश को “वर्ल्ड कैपिटल योगा” और “वर्ल्ड सिटी ऑफ वैलनेस” के रूप में पहचान दिलाने की आवश्यकता पर भी बल दिया। उन्होंने कहा, “उत्तराखंड आयुष राज्य है और यहां की पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियां दुनिया भर में लोकप्रिय हो सकती हैं।” जापान से आए प्रवासी उत्तराखंडी भुवन तिवारी ने जापान में भारतीय कंपनियों के बारे में बताया और कहा कि जापान में पर्यटन क्षेत्र में काम करने वाली 16 कंपनियों में से 50 प्रतिशत उत्तराखंडी हैं। उन्होंने बताया कि जापान से आने वाले पर्यटकों का अधिकांश हिस्सा हरिद्वार और ऋषिकेश ही आता है, लेकिन उन्हें पहाड़ के अन्य हिस्सों में भी लाने के प्रयास होने चाहिए।
भुवन तिवारी ने जापान में उत्तराखंड के पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए अधिक प्रयास करने की आवश्यकता पर जोर दिया। उनका मानना है कि अगर सही तरीके से प्रचार किया जाए तो उत्तराखंड को एक प्रमुख पर्यटन स्थल के रूप में पेश किया जा सकता है।
इस अवसर पर पूनम चंद्र, पर्यटन विभाग की अधिकारी ने सभी प्रवासी उत्तराखंडियों और मेहमानों का आभार प्रकट किया। कार्यक्रम का संचालन आरजे काव्य ने किया, जिन्होंने सत्र को बेहतरीन तरीके से संचालित किया। इस दौरान प्रवासी उत्तराखंडियों और विशेष अतिथियों को सम्मानित भी किया गया।