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कोचिंग सेंटरों के विज्ञापनों पर नए दिशा-निर्देश जारी छात्रों को धोखे से बचाने के लिए उठाए कदम

नई दिल्ली: केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) ने कोचिंग सेंटरों द्वारा प्रकाशित किए जा रहे भ्रामक और गुमराह करने वाले विज्ञापनों पर रोक लगाने के लिए नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इन दिशा-निर्देशों का उद्देश्य छात्रों को किसी भी प्रकार के धोखाधड़ी से बचाना है, जो उन्हें विज्ञापनों के माध्यम से गलत जानकारी देते हुए गुमराह करते हैं।

यह कदम केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण की ओर से एक जरूरी पहल के रूप में सामने आया है, जिससे कोचिंग सेंटरों की ओर से किए जाने वाले विज्ञापन ज्यादा पारदर्शी और सच्चे होंगे। CCPA का कहना है कि इस निर्णय से छात्रों को अपनी शिक्षा से संबंधित सही जानकारी मिल सकेगी और वे किसी प्रकार के दबाव में आकर गलत निर्णय नहीं लेंगे।

दिशा-निर्देशों के अनुसार कोचिंग सेंटरों पर किस प्रकार की रोक लगेगी?

भ्रामक विज्ञापनों पर पाबंदी

जिन विज्ञापनों में प्रस्तावित पाठ्यक्रम, उनकी अवधि, संकाय योग्यता, शुल्क, धनवापसी नीतियां, सफलता की दर, परीक्षा रैंकिंग, और नौकरी की सुरक्षा के झूठे वादे किए जाते हैं, उन पर अब सख्ती से रोक लगाई जाएगी। इससे छात्रों को असल जानकारी मिल सकेगी, और वे किसी भी प्रकार के अतिशयोक्तिपूर्ण दावों के प्रभाव में नहीं आएंगे।

बढ़ा-चढ़ाकर तारीफ करने पर रोक

कोचिंग संस्थानों को अपनी सुविधाओं, संसाधनों, और बुनियादी ढांचे के बारे में सही जानकारी देनी होगी। अब, उन्हें बिना तथ्यों के आधार पर अपनी तारीफ करने की अनुमति नहीं होगी। इससे छात्रों को वास्तविकता का बेहतर अंदाजा होगा और वे किसी भी प्रकार के अतिरंजित दावों से गुमराह नहीं होंगे।

छात्र की सफलता की कहानियों का उपयोग

कोचिंग सेंटर अब छात्रों की सफलता की कहानियों को बिना उनकी सहमति के विज्ञापनों में इस्तेमाल नहीं कर सकते। यदि कोई कोचिंग सेंटर किसी छात्र की फोटो, नाम या सर्टिफिकेट का उपयोग करता है, तो इसे केवल उस छात्र की लिखित अनुमति के बाद किया जा सकता है। यह अनुमति भी तब ली जाएगी, जब छात्र पहले किसी परीक्षा में सफल हो चुका होगा। इसका उद्देश्य छात्रों को एडमिशन के दौरान किसी भी प्रकार के दबाव से बचाना है, जो कि उनकी स्वीकृति के बिना उनके नाम का प्रचार कर सकती है।

पारदर्शिता की आवश्यकता

विज्ञापनों में पारदर्शिता को सुनिश्चित करने के लिए कोचिंग सेंटरों को अब विज्ञापनों में स्पष्ट रूप से यह जानकारी देनी होगी कि किसी सफल छात्र ने उस कोर्स के लिए कितनी फीस दी थी, उसका नाम, रैंक, और कोर्स की पूरी जानकारी। यह सारी जानकारी बड़े अक्षरों में दी जाएगी ताकि छात्र बारीक प्रिंट से गुमराह न हो सकें।

दबावपूर्ण विज्ञापनों पर निगरानी

कोचिंग सेंटरों को अब उन विज्ञापनों पर भी कड़ी निगरानी रखनी होगी, जो छात्रों को “सीटों की कमी” या “जल्द दाखिला लें” जैसे दबावपूर्ण संदेशों के माध्यम से प्रलोभित करते हैं। ऐसे विज्ञापन अब जारी नहीं किए जा सकेंगे, और कोचिंग सेंटरों को इस तरह की जानकारी स्पष्ट और सही तरीके से देनी होगी।

राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन से जुड़ने की अनिवार्यता

कोचिंग सेंटरों को अब राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन से जुड़ना अनिवार्य होगा। इससे छात्रों के लिए भ्रामक विज्ञापनों और अनुचित व्यापार प्रथाओं के खिलाफ शिकायत दर्ज करना आसान हो जाएगा। छात्रों को यह प्लेटफॉर्म एक सशक्त उपकरण के रूप में मिलेगा, जिससे वे अपनी शिकायतें दर्ज कर सकते हैं और संबंधित अधिकारियों से मदद प्राप्त कर सकते हैं।

अगर कोई कोचिंग सेंटर इन दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करता है, तो उसके खिलाफ उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 के प्रावधानों के तहत कार्रवाई की जाएगी। केंद्रीय प्राधिकरण के पास दंड लगाने, जवाबदेही सुनिश्चित करने और अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का अधिकार रहेगा। यह सुनिश्चित करेगा कि किसी भी कोचिंग सेंटर को गलत और भ्रामक विज्ञापनों के कारण छात्रों को धोखा देने की छूट न मिले।

पिछले कुछ वर्षों में हुई कार्रवाई

केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण ने पिछले कुछ वर्षों में कई कोचिंग सेंटरों के भ्रामक विज्ञापनों पर स्वतः संज्ञान लिया और उन पर कार्रवाई की है। जानकारी के मुताबिक, CCPA ने 45 नोटिस जारी किए हैं और 18 कोचिंग संस्थानों पर 54 लाख 60 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है। इसके अलावा, इन संस्थानों को भ्रामक विज्ञापन बंद करने का निर्देश भी दिया गया है।

CCPA के अधिकारियों का कहना है कि यह नई पहल छात्रों की भलाई के लिए है और इस तरह के कदम छात्रों के शोषण को रोकने में मदद करेंगे। यह सुनिश्चित करेगा कि छात्रों को केवल सही और प्रमाणित जानकारी मिलें, जिससे वे अपने भविष्य के लिए सही निर्णय ले सकें।

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