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Shardiya Navratri 2024: पालकी में आ रही है माता,अच्छे संकेत नहीं

नवरात्रि का महत्व और शुभारंभ

नई दिल्ली, 19 सितंबर 2024: हिंदू धर्म में शारदीय नवरात्रि का पर्व विशेष महत्व रखता है। यह पर्व मां दुर्गा की विशेष पूजा और आराधना का समय है। नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा की अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है। नवरात्रि का पर्व प्रतिपदा की तिथि से आरंभ होता है, जिसमें पहले दिन कलश स्थापना की जाती है। इस बार, 3 अक्टूबर 2024 को नवरात्रि का पर्व शुरू हो रहा है।

ग्रहण के संकेत: क्या है शुभ-अशुभ का भविष्य?

हालांकि, इस बार नवरात्रि के शुभारंभ के साथ एक विशेष खगोलीय घटना भी जुड़ रही है। 2 अक्टूबर को सूर्य ग्रहण लग रहा है, जो इस पर्व की महत्ता को प्रभावित कर सकता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, नवरात्रि की शुरुआत और ग्रहण का संयोग शुभ नहीं माना जाता।

विशेषज्ञों का मानना है कि जब ग्रहण और नवरात्रि एक साथ होते हैं, तो यह कई नकारात्मक संकेतों को जन्म दे सकता है। इस स्थिति में देश-दुनिया के लिए कुछ मुश्किलें उत्पन्न हो सकती हैं, जिससे हमें अधिक सतर्क रहने की आवश्यकता है।

मां दुर्गा की सवारी: संकेतों का महत्व

नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा की सवारी का महत्व भी विशेष होता है। मां की सवारी से आने वाले समय की भविष्यवाणी की जाती है। मां की सवारी का निर्धारण उस दिन के वार के अनुसार किया जाता है। इस बार, नवरात्रि का पर्व गुरुवार से आरंभ हो रहा है, और इस दिन मां दुर्गा डोली पर सवार होकर आ रही हैं।

ज्योतिष ग्रंथों और देवीभाग्वतपुराण में मां की सवारी का वर्णन मिलता है। एक प्रसिद्ध श्लोक के अनुसार:

शशि सूर्य गजरुढा शनिभौमै तुरंगमे। गुरौशुक्रेच दोलायां बुधे नौकाप्रकीर्तिता॥

इस श्लोक में बताया गया है कि किस दिन मां दुर्गा किस वाहन पर सवार होती हैं।

शुभ-अशुभ संकेत: आर्थिक और सामाजिक प्रभाव

विशेष रूप से, जब मां दुर्गा डोली या पालकी पर आती हैं, तो यह आने वाले समय के लिए शुभ संकेत नहीं माना जाता। मान्यता है कि ऐसे समय में आर्थिक स्थिति पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। मंदी, गिरावट और सामाजिक असंतोष की संभावना बढ़ जाती है।

जब मां दुर्गा डोली पर आती हैं, तो प्राकृतिक आपदाओं की संभावनाएं भी बढ़ जाती हैं। इसके अलावा, राजनीतिक सत्ता में भी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है, और दुर्घटनाओं में जनहानि की आशंका बढ़ती है।

ग्रहण और नवरात्रि: संयम और सतर्कता की आवश्यकता

सूर्य ग्रहण और नवरात्रि का संयोग इस बार विशेष रूप से चिंता का विषय बन गया है। 15 दिन के भीतर दो ग्रहण लगने से ज्योतिषीय दृष्टिकोण से नकारात्मक संकेत मिलते हैं। ज्योतिषियों का मानना है कि ऐसी स्थिति में हमें संयम और सावधानी बरतने की आवश्यकता है।

अत: भक्तों को इस बार नवरात्रि के दौरान अधिक सतर्क रहना होगा। सुरक्षा उपायों का पालन करना और नकारात्मकता से बचने के लिए ध्यान और साधना की आवश्यकता होगी।

उपसंहार: आस्था और चेतना का समय

शारदीय नवरात्रि एक ऐसा पर्व है जो आस्था और भक्ति का प्रतीक है। हालांकि, इस बार के ग्रहण और मां की सवारी के संकेतों ने भक्तों को सतर्क कर दिया है। हमें यह समझना चाहिए कि कठिनाइयों का सामना करने के लिए हमें संयम और एकता के साथ रहना होगा।

इस नवरात्रि, जब मां दुर्गा की पूजा की जाएगी, तो यह समय हमें एक नई दिशा दिखा सकता है। सभी भक्तों को सलाह दी जाती है कि वे सकारात्मकता बनाए रखें और मां दुर्गा से प्रार्थना करें कि वह हमें शक्ति प्रदान करें ताकि हम सभी बाधाओं का सामना कर सकें।

इस नवरात्रि का पर्व केवल भक्ति का समय नहीं है, बल्कि यह हमें आत्म-चिंतन और समाज में सुधार का भी अवसर प्रदान करता है। मां दुर्गा का आशीर्वाद सभी पर बना रहे, यही कामना है।

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