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सीमा मुद्दों पर तनाव बढ़ने के बीच यूनुस सरकार ने भारतीय उच्चायुक्त को किया तलब, इंडिया ने दिया करारा जवाब

भारत और बांग्लादेश के बीच सीमा मुद्दों पर तनाव लगातार बढ़ता जा रहा है। सोमवार (13 जनवरी, 2025) को भारतीय विदेश मंत्रालय (MEA) ने बांग्लादेश के उप उच्चायुक्त नूरल इस्लाम को तलब किया, जहां उन्होंने बॉर्डर पर चल रहे विवादों पर चर्चा की। यह घटना बांग्लादेशी विदेश मंत्रालय द्वारा भारतीय उच्चायुक्त प्रणय वर्मा को 12 जनवरी को तलब किए जाने के एक दिन बाद हुई, जब बांग्लादेश ने भारतीय सीमा पर हो रहे निर्माण कार्यों को लेकर अपनी चिंताएं व्यक्त की थी।

बांग्लादेश द्वारा भारत पर लगाए गए आरोप

बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने भारतीय उच्चायुक्त प्रणय वर्मा को तलब करते हुए आरोप लगाया था कि भारत बांग्लादेश और भारत के बीच हुई सहमति का उल्लंघन कर रहा है। विशेष रूप से, बांग्लादेश का कहना है कि भारत बांग्लादेश सीमा पर पांच स्थानों पर अवैध रूप से फेंसिंग (बाड़) का निर्माण कर रहा है, जो कि दोनों देशों के बीच समझौते के खिलाफ है। इस ताजा घटना के बाद भारत ने भी जवाबी कार्रवाई की और बांग्लादेश के उप उच्चायुक्त को तलब कर सीमा विवाद पर बातचीत शुरू की।

बॉर्डर पर निर्माण कार्यों की पृष्ठभूमि

भारत और बांग्लादेश के बीच सीमा विवाद और निर्माण कार्यों को लेकर शेख हसीना की सरकार के दौरान एक समझौता हुआ था, जिसमें दोनों देशों के सीमा सुरक्षाबलों के बीच आपसी सहमति बनी थी। इस समझौते के तहत दोनों देशों के बीच सीमा पर कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए बुनियादी ढांचे और निर्माण कार्यों की अनुमति दी गई थी। हालांकि, तख्तापलट के बाद स्थिति बदल गई है। बांग्लादेश के बॉर्डर गार्ड (BGB) ने उत्तर और दक्षिण बंगाल सीमांत क्षेत्रों में कई स्थानों पर निर्माण कार्य को रोकने का आदेश दिया, जबकि यह पहले शेख हसीना की सरकार से सहमति प्राप्त था।

BGB कर्मियों का विरोध और भारतीय सेना की प्रतिक्रिया

बीते साल, दोनों देशों के सीमा सुरक्षा बलों (BSF और BGB) के बीच सहमति बनी थी कि सीमा पर बुनियादी निर्माण कार्यों को बढ़ावा दिया जाएगा। हालांकि, जनवरी 2025 में बांग्लादेशी बॉर्डर गार्ड (BGB) ने उत्तर 24 परगना में बीएसएफ द्वारा की जा रही फेंसिंग निर्माण गतिविधियों का विरोध किया। 9 जनवरी को बीएसएफ और BGB के वरिष्ठ अधिकारियों के बीच बैठक हुई थी, जहां दोनों पक्षों ने सीमा पर निर्माण कार्यों पर चर्चा की थी। इसके बावजूद, बीजीबी के कर्मियों ने कूच बिहार के मेखलीगंज क्षेत्र में बीएसएफ द्वारा शुरू किए गए फेंसिंग निर्माण का विरोध किया।

सीमा पर तनाव और आगे की स्थिति

भारत और बांग्लादेश के बीच इस समय सीमा मुद्दों को लेकर बढ़ता हुआ तनाव दोनों देशों के बीच रिश्तों पर भारी पड़ सकता है। बांग्लादेश के आरोपों के बावजूद, भारत ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि वह सीमा पर सुरक्षा को बढ़ाने और दोनों देशों के बीच समझौतों के अनुसार निर्माण कार्य कर रहा है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि बांग्लादेश के उप उच्चायुक्त से मुलाकात के दौरान भारत ने इन आरोपों का स्पष्ट रूप से जवाब दिया और दोनों देशों के बीच समझौते की पुनः पुष्टि की।

भारतीय विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि “हमारा उद्देश्य दोनों देशों के बीच सीमाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करना और बांग्लादेश के साथ एक शांतिपूर्ण और सहयोगात्मक संबंध बनाए रखना है। सीमा पर हुए समझौतों का पालन करने में हम पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं।”

दोनों देशों के सैनिकों के बीच हाल की बैठक

भारत और बांग्लादेश के सीमा सुरक्षा बलों (BSF और BGB) के बीच हाल में ही एक उच्चस्तरीय बैठक हुई थी। 9 जनवरी को हुई इस बैठक में बीएसएफ के महानिरीक्षक और BGB के क्षेत्रीय कमांडर दक्षिण पश्चिम ने उत्तर 24 परगना में सीमा से संबंधित मुद्दों पर बातचीत की थी। हालांकि, यह बैठक तनाव को कम करने में कोई खास कामयाब नहीं हो पाई। इसके बाद बीजीबी कर्मियों ने बीएसएफ द्वारा की जा रही फेंसिंग गतिविधियों का विरोध किया, जिसके कारण सीमा पर एक बार फिर तनाव बढ़ गया।

भारत-बांग्लादेश रिश्तों में भविष्य की दिशा

यह स्पष्ट है कि भारत और बांग्लादेश के बीच सीमा विवाद और सीमा सुरक्षा के मुद्दे पर और अधिक बातचीत और समझौते की आवश्यकता है। दोनों देशों के बीच विश्वास और सहयोग की भावना को बढ़ाने के लिए यह जरूरी होगा कि दोनों पक्ष अपने-अपने दृष्टिकोण को समझें और आपसी समझौते के आधार पर समाधान निकालें। यदि दोनों देशों के बीच इस विवाद का शीघ्र समाधान नहीं निकला, तो यह दोनों देशों के रिश्तों को और भी प्रभावित कर सकता है।

साथ ही, भारत और बांग्लादेश को अपनी सीमा सुरक्षा में सुधार करने और सीमा पर शांति बनाए रखने के लिए अपने कूटनीतिक प्रयासों को तेज करने की आवश्यकता है। इसके अलावा, दोनों देशों को यह समझने की आवश्यकता है कि सीमा पर तनाव का समाधान केवल कूटनीति और बातचीत के माध्यम से ही संभव है, न कि किसी भी प्रकार की सैन्य कार्रवाई के द्वारा।

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