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भाजपा ने अरविंद केजरीवाल पर तंज कसते हुए जारी किया विवादित पोस्टर

: दिल्ली विधानसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा से पहले ही राज्य की राजनीति में गर्मी बढ़ गई है। भाजपा और आम आदमी पार्टी (आप) के बीच आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला तेज हो गया है। सोमवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री और आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने पुजारियों और गुरुद्वारों के ग्रंथियों के लिए ‘पुजारी-ग्रंथी सम्मान योजना’ की घोषणा की थी। इस योजना के तहत, यदि आम आदमी पार्टी की सरकार दिल्ली में सत्ता में आती है तो हर माह इन पुजारियों और ग्रंथियों को 18 हजार रुपये की सम्मान राशि दी जाएगी।

केजरीवाल की इस योजना की घोषणा के बाद, मंगलवार को दिल्ली भाजपा ने उन पर तंज कसते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्टर जारी किया। इस पोस्टर में अरविंद केजरीवाल को रुद्राक्ष की माला और फूलों की माला पहने हुए दिखाया गया है। पोस्टर के ऊपर लिखा है, “चुनावी हिंदू” और इसके बैकग्राउंड में मंदिर की घंटियाँ दिख रही हैं। पोस्टर में नीचे कुछ और बातें लिखी गई हैं, जैसे “मंदिर जाना है बस मेरे लिए एक छलावा”, “पुजारियों का सम्मान मेरा चुनावी दिखावा”, और “सनातन धर्म का मैंने हमेशा मजाक उड़ाया”। भाजपा ने इस पोस्टर के जरिए केजरीवाल पर आरोप लगाया कि वे सिर्फ चुनावों में हिंदू वोटों को आकर्षित करने के लिए पुजारियों का सम्मान करने का दिखावा कर रहे हैं।

भाजपा ने केजरीवाल पर हिंदू विरोधी होने का आरोप लगाया

इसके अलावा, दिल्ली भाजपा ने सोशल मीडिया पर लिखा कि अरविंद केजरीवाल “जो 10 साल से इमामों को सैलरी बांटते रहे, जो खुद और उनकी नानी प्रभु श्रीराम का मंदिर बनने से खुश नहीं थे, और जिनकी पूरी राजनीति हिंदू विरोधी रही, उन्हें अब चुनावी समय में पुजारियों और ग्रंथियों की याद आई है।” भाजपा ने यह भी कहा कि यह वही नेता हैं जिन्होंने मंदिरों और गुरुद्वारों के बाहर शराब के ठेके खोले और अब चुनावी लाभ के लिए हिंदू धर्म का सहारा ले रहे हैं।

केजरीवाल ने भाजपा पर निशाना साधा

अरविंद केजरीवाल ने इस आरोप पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि भाजपा और अन्य विपक्षी दल उनकी योजनाओं को सिर्फ इसलिए रोकने की कोशिश कर रहे हैं क्योंकि वे चुनाव में अपनी हार से डरते हैं। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि भाजपा ने पहले महिला सम्मान और संजीवनी योजना को पुलिस भेजकर रोकने की कोशिश की, लेकिन वे सफल नहीं हो पाए। उन्होंने कहा, “हमारी सरकार बनने पर हम इन पुजारियों और ग्रंथियों को सम्मान राशि देंगे। यह हमारे संस्कारों और परंपराओं का हिस्सा है, जिसे कोई भी सत्ता से बाहर नहीं कर सकता।”

पुजारियों और ग्रंथियों को हर माह 18 हजार रुपये देने का वादा

अरविंद केजरीवाल ने सोमवार को दिल्ली में पार्टी मुख्यालय में एक प्रेस वार्ता आयोजित की, जिसमें उन्होंने यह ऐलान किया कि दिल्ली में मंदिरों के पुजारियों और गुरुद्वारों के ग्रंथियों को हर माह 18 हजार रुपये सम्मान राशि दी जाएगी। उन्होंने इसे वेतन नहीं बल्कि सम्मान राशि बताया और कहा, “हमारा उद्देश्य इन लोगों का सम्मान करना है, जिन्होंने वर्षों से हमारी धार्मिक परंपराओं और रीति-रिवाजों को जीवित रखा है।”

केजरीवाल ने यह भी कहा कि “आज तक किसी भी सरकार या पार्टी ने इस प्रकार की योजना नहीं बनाई। यह पहली बार हो रहा है कि किसी पार्टी ने पुजारियों और ग्रंथियों को सम्मान देने की बात की है।”

संजीवनी योजना पर विवाद

केजरीवाल ने भाजपा पर आरोप लगाया कि उनकी सरकार ने दिल्ली में महिलाओं के लिए ‘संजीवनी योजना’ और अन्य योजनाओं को रोकने की कोशिश की थी। हालांकि, उन्होंने कहा कि इन योजनाओं को रोकने में भाजपा सफल नहीं हो पाई। उन्होंने इसे दिल्ली की जनता का अपमान बताते हुए कहा, “हमारी सरकार ने हमेशा समाज के हर वर्ग के लिए काम किया है, और हम आगे भी करते रहेंगे।”

क्या है पुजारी-ग्रंथी सम्मान योजना?

अरविंद केजरीवाल की ‘पुजारी-ग्रंथी सम्मान योजना’ का उद्देश्य दिल्ली के मंदिरों के पुजारियों और गुरुद्वारों के ग्रंथियों को हर माह 18 हजार रुपये की सम्मान राशि देना है। केजरीवाल ने इस योजना की शुरुआत करते हुए सोमवार को हनुमान मंदिर में पुजारियों का पंजीकरण शुरू किया। उन्होंने कहा कि यह योजना धार्मिक समुदाय के बीच एक सम्मान की भावना पैदा करेगी और पुजारियों को उनकी सेवा के लिए उचित सम्मान मिलेगा।

चुनावी प्रचार में धार्मिक मुद्दों का जोर

दिल्ली विधानसभा चुनाव के नजदीक आते ही राजनीतिक दलों ने धार्मिक मुद्दों को प्रमुखता से उठाना शुरू कर दिया है। आम आदमी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी दोनों ही एक-दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं कि वे चुनावी लाभ के लिए धर्म का सहारा ले रहे हैं। जहां एक ओर केजरीवाल हिंदू धर्म और उसकी परंपराओं को सम्मान देने का दावा कर रहे हैं, वहीं भाजपा उन पर हिंदू विरोधी होने का आरोप लगा रही है।

आगामी चुनाव में ये मुद्दे बन सकते हैं प्रमुख

दिल्ली विधानसभा चुनाव में अब तक के प्रचार से यह साफ है कि धार्मिक और सामाजिक मुद्दे दोनों ही दलों के प्रचार में अहम स्थान रखेंगे। भाजपा जहां केजरीवाल की योजनाओं को चुनावी हथकंडा बताकर उन्हें चुनौती दे रही है, वहीं आम आदमी पार्टी केजरीवाल की तरफ से की गई घोषणाओं को दिल्ली के धार्मिक समुदाय को सशक्त बनाने की दिशा में एक कदम मानती है।

आगे के दिनों में ये विवाद और बढ़ने की संभावना है, खासकर तब जब चुनाव आयोग चुनावी तारीखों का ऐलान करता है। दिल्ली के मतदाता इन घोषणाओं और आरोपों को किस प्रकार से स्वीकार करते हैं, यह आगामी चुनावों के परिणामों को प्रभावित करेगा।

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