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DELHI : चुनाव से पहले किसानों के मुद्दे पर घमासान, शिवराज सिंह चौहान और सीएम आतिशी के बीच हुई तीखी नोक-झोंक

नई दिल्ली: दिल्ली में आगामी विधानसभा चुनावों के बीच किसानों के मुद्दे पर राजनीति तेज हो गई है। केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी को एक चिट्ठी लिखी, जिसमें उन्होंने दिल्ली सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि दिल्ली के किसानों के हित में कोई कदम नहीं उठाए गए हैं और केंद्र सरकार की किसानों के लिए योजनाओं को राज्य में लागू होने से रोका गया है। इस चिट्ठी का जवाब मुख्यमंत्री आतिशी ने दिया, जिसमें उन्होंने भाजपा और पीएम मोदी की नीतियों पर जमकर हमला बोला।

कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपनी चिट्ठी में दिल्ली के किसानों की स्थिति पर चिंता जताते हुए लिखा कि दिल्ली सरकार ने कभी भी किसानों के हित में निर्णय नहीं लिए। उनका आरोप था कि केंद्र की कई किसान-हितैषी योजनाओं को दिल्ली में लागू होने से रोक दिया गया है। चौहान ने यह भी कहा कि दिल्ली के किसान आज परेशान हैं और सरकार से कोई मदद नहीं मिल रही।

इस चिट्ठी के बाद मुख्यमंत्री आतिशी ने कड़ा जवाब देते हुए कहा कि भाजपा का किसानों के बारे में बात करना वैसे ही है जैसे दाऊद इब्राहीम अहिंसा पर प्रवचन दे रहा हो। उन्होंने केंद्र की नीतियों को लेकर तीखा हमला किया और कहा कि भाजपा के शासन में किसानों की स्थिति बद से बदतर हो गई है, और भाजपा की नीतियां किसानों के खिलाफ हैं।

सीएम आतिशी का तीखा जवाब: मोदी सरकार पर हमला

मुख्यमंत्री आतिशी ने अपनी चिट्ठी में केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को निशाने पर लेते हुए लिखा, “भा​जपा का किसानों के बारे में बात करना वैसे ही है जैसे दाऊद अहिंसा पर प्रवचन दे रहा हो। भाजपा के शासन में किसानों की जो दुर्दशा हुई है, वह पहले कभी नहीं हुई। पंजाब में किसान आज भी आमरण अनशन पर बैठे हैं, और मोदी जी से कहिए कि वह उनसे बात करें। किसानों से राजनीति करना बंद करें। भाजपा के राज में किसानों पर गोलियां और लाठियां चलाई गईं, लेकिन केंद्र सरकार ने कभी इन समस्याओं का समाधान नहीं किया।”

आतिशी ने आगे कहा कि भाजपा ने किसानों के लिए कभी भी कोई ठोस कदम नहीं उठाया। उनके अनुसार, मोदी सरकार के शासन में किसानों की हालत निरंतर खराब होती गई, जबकि दिल्ली में आम आदमी पार्टी ने किसानों के लिए कई योजनाएं चलाईं, जैसे मुफ्त पानी, खेतों के लिए तकनीकी मदद और ऋण मुक्ति योजनाएं।

पंजाब में किसान आंदोलन का उल्लेख

आतिशी ने अपने जवाब में पंजाब में चल रहे किसानों के आंदोलन का उल्लेख करते हुए कहा कि वहां किसान अपने हक के लिए अनशन पर बैठे हैं, लेकिन केंद्र सरकार ने उनकी बातों को नजरअंदाज कर दिया। उन्होंने कहा कि किसानों को उनकी फसल का सही दाम न मिलने, कृषि लागत बढ़ने और कम होती खेती की जमीन के कारण कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है, और इन समस्याओं का समाधान केंद्र सरकार को निकालना चाहिए।

उनका आरोप था कि जब भी किसानों की बात की जाती है, भाजपा अपनी राजनीति करने में लगी रहती है, लेकिन उन समस्याओं का समाधान नहीं करती। आतिशी ने केंद्र सरकार से पूछा कि अगर वे किसानों के लिए सच में चिंतित हैं, तो उन्हें उनकी समस्याओं का समाधान क्यों नहीं दिखता?

केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच नोक-झोंक

केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान और दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी के बीच यह पत्र विवाद पिछले कुछ समय से बढ़ते किसान आंदोलन और दिल्ली में हो रहे विधानसभा चुनावों के कारण और भी ज्यादा गहरा गया है।

चौहान ने अपनी चिट्ठी में दावा किया कि दिल्ली सरकार ने केंद्र की कई योजनाओं को राज्य में लागू होने से रोक दिया, जिससे दिल्ली के किसानों को लाभ नहीं मिल सका। उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार की यह नीति दिल्ली के किसानों के लिए नासमझी और बुरी साबित हुई है।

इसके जवाब में, मुख्यमंत्री आतिशी ने केंद्र की नीतियों और प्रधानमंत्री मोदी की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए यह कहा कि भाजपा और मोदी सरकार के समय में किसानों की जो स्थिति हुई है, वह बेहाल और संकटपूर्ण है। उनके मुताबिक, केंद्र की योजनाओं में किसानों के लिए कुछ भी खास नहीं था, और भाजपा सरकार ने इस मुद्दे पर सिर्फ राजनीतिक खेल खेला।

दिल्ली में भाजपा और आप के बीच चुनावी संघर्ष

दिल्ली विधानसभा चुनाव में किसानों के मुद्दे पर यह विवाद भाजपा और आम आदमी पार्टी (आप) के बीच होने वाले चुनावी संघर्ष को और तीव्र कर रहा है। चुनावी मैदान में यह एक बड़ा मुद्दा बन सकता है, क्योंकि दिल्ली में किसानों की संख्या भी महत्वपूर्ण है।

आप सरकार ने दिल्ली के किसानों के लिए कई कदम उठाए हैं, जैसे सस्ती बिजली, पानी की सुविधा, और कृषि के क्षेत्र में तकनीकी सहायता देना। वहीं, भाजपा ने हमेशा केंद्र सरकार के माध्यम से किसानों के कल्याण के लिए योजनाएं लाने का दावा किया है, लेकिन विपक्षी दलों द्वारा यह आरोप भी लगाए गए हैं कि केंद्र की योजनाओं का फायदा किसानों तक नहीं पहुंच रहा है।

इस पत्र विवाद को लेकर राजनीतिक दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है, और इस मुद्दे पर चुनावी प्रचार भी तेज हो गया है। आगामी विधानसभा चुनाव में यह मुद्दा एक प्रमुख विषय हो सकता है, जिससे दिल्ली के मतदाताओं को यह फैसला करने में मदद मिलेगी कि किस पार्टी के नेतृत्व में उनके हित सुरक्षित हैं।

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