दिल्ली-एनसीआर से ग्रैप-3 हटाया गया, हवा में सुधार के बाद लिया गया फैसला
दिल्ली: दिल्ली-एनसीआर में 9 जनवरी को लागू किए गए ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रैप) के तहत ग्रैप-3 को अब हटा लिया गया है। वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) द्वारा यह निर्णय लिया गया है कि हवा में सुधार आने के बाद ग्रैप-3 के कड़े उपायों को तत्काल प्रभाव से हटा दिया जाएगा। इस निर्णय के साथ ही अब कई पाबंदियों को भी समाप्त कर दिया गया है, जिससे राजधानी में जीवन की रफ्तार फिर से सामान्य हो सकेगी।
ग्रैप-3 को लागू करने का उद्देश्य राजधानी की वायु गुणवत्ता को सुधारना था, लेकिन अब जब हालात बेहतर हो गए हैं, तो उन पाबंदियों को हटाने का फैसला लिया गया है जो दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण की स्थिति को नियंत्रित करने के लिए लगाए गए थे।
क्या थे ग्रैप-3 के तहत लगाए गए प्रतिबंध?
9 जनवरी को लागू किए गए ग्रैप-3 के तहत दिल्ली-एनसीआर में कई महत्वपूर्ण प्रतिबंध लगाए गए थे, ताकि वायु गुणवत्ता को सुधारा जा सके। यह कदम वायु प्रदूषण के उच्च स्तर के मद्देनजर उठाए गए थे। ग्रैप-3 के अंतर्गत जो प्रमुख कार्यों पर पाबंदी थी, उनमें निम्नलिखित थे:
- निर्माण गतिविधियां: सभी निर्माण कार्यों पर कड़ी पाबंदी लगाई गई थी, जिनमें धूल और प्रदूषण फैलाने वाले सीएंडडी (कंस्ट्रक्शन एंड डेमोलिशन) कार्य शामिल थे।
- खुदाई और मिट्टी का काम: बोरिंग, ड्रिलिंग और खुदाई कार्यों पर भी प्रतिबंध था, जिसमें पाइलिंग कार्य, विध्वंस कार्य और सीवर लाइन, पानी की लाइन और ड्रेनेज बिछाने के कार्य शामिल थे।
- सड़क निर्माण और मरम्मत: सड़क निर्माण की गतिविधियों और प्रमुख मरम्मत कार्यों पर भी रोक लगाई गई थी, ताकि धूल और प्रदूषण से बचा जा सके।
- कच्ची सड़कों पर वाहनों की आवाजाही: कच्ची सड़कों पर निर्माण सामग्री ले जाने वाले वाहनों के संचालन पर भी रोक थी।
इसके अलावा, निर्माण स्थलों पर सीमेंट, फ्लाई-ऐश, ईंट, रेत, पत्थर जैसी प्रदूषण फैलाने वाली सामग्रियों का स्थानांतरण और लोडिंग/अनलोडिंग भी प्रतिबंधित किया गया था।
एयरपोर्ट और सार्वजनिक परिवहन के लिए राहत
ग्रैप-3 हटाए जाने के बाद दिल्ली-एनसीआर में आने-जाने वाले यात्री और व्यवसायी भी राहत महसूस करेंगे। विशेष रूप से, एनसीआर से आने वाली अंतरराज्य बसों को अब दिल्ली में प्रवेश की अनुमति मिल गई है। साथ ही, बीएस-4 और डीजल के कमर्शियल वाहनों पर लगी रोक को भी हटा लिया गया है। इससे वाहनों के परिचालन में आसानी होगी और यातायात की स्थिति में सुधार होगा।
इसके अतिरिक्त, दिल्ली के हवाई अड्डे पर भी अब कोई रोक नहीं रहेगी, जिससे हवाई यात्रा में कोई बाधा नहीं आएगी। पहले इस प्रकार के उपायों के चलते यात्री परेशान होते थे, लेकिन अब स्थिति सामान्य होने से यात्री आसानी से अपनी यात्रा कर सकेंगे।
सीएक्यूएम ने दी यह सलाह
ग्रैप-3 हटाए जाने के बावजूद, सीएक्यूएम ने नागरिकों को कुछ सुझाव दिए हैं, जिनका पालन करने से वायु गुणवत्ता को बेहतर बनाए रखने में मदद मिलेगी। इन सुझावों में शामिल हैं:
- साइकिल का इस्तेमाल करें: छोटे सफर के लिए साइकिल का उपयोग करें, या पैदल चलने की कोशिश करें। इससे प्रदूषण में कमी आएगी।
- कार पूलिंग: जब भी संभव हो, कार पूलिंग का सहारा लें, जिससे वाहनों की संख्या कम हो और वायु प्रदूषण में कमी आए।
- सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करें: निजी वाहनों के बजाय सार्वजनिक परिवहन का अधिक उपयोग करें, जैसे मेट्रो, बसें आदि।
- वर्क फ्रॉम होम: अगर आपके कार्यालय से अनुमति मिले तो वर्क फ्रॉम होम का विकल्प चुनें, ताकि सड़क पर वाहनों की आवाजाही कम हो और प्रदूषण में कमी आए।
- निर्माण कार्यों पर रोक: निर्माण कार्यों को रोकने की सलाह दी गई, ताकि निर्माण स्थल से निकलने वाली धूल और प्रदूषण से बचा जा सके।
खराब मौसम के प्रभाव
सीएक्यूएम ने यह भी बताया कि दिल्ली के मौसम में होने वाले बदलावों से भी वायु गुणवत्ता पर असर पड़ता है। विशेषकर, सर्दियों के दौरान कोहरा और कम तापमान के कारण वायु प्रदूषण की समस्या अधिक गंभीर हो जाती है। इस स्थिति में वायु की गुणवत्ता को सुधारने के लिए लगातार प्रयास किए जाते हैं, जैसे कि ग्रैप के तहत उपायों को लागू करना और नागरिकों को प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए जागरूक करना।
हालांकि, अब जब वायु गुणवत्ता में सुधार हुआ है, तो ग्रैप-3 के उपायों को हटाने का फैसला लिया गया है, लेकिन प्रदूषण की स्थिति को ध्यान में रखते हुए भविष्य में आवश्यकता पड़ने पर फिर से उपाय लागू किए जा सकते हैं।
ग्रैप-3 का प्रभाव
ग्रैप-3 के लागू होने से दिल्ली-एनसीआर के वायु प्रदूषण में सुधार की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए गए थे। इस दौरान निर्माण गतिविधियों को रोकने और प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों की आवाजाही पर पाबंदी लगाने से हवा में सुधार हुआ था। हालांकि, इन पाबंदियों के कारण कुछ असुविधाएं भी उत्पन्न हुईं, जैसे कि यातायात में रुकावटें और सार्वजनिक परिवहन में भीड़। लेकिन इन उपायों का उद्देश्य केवल वायु प्रदूषण को नियंत्रित करना था, और यह निश्चित रूप से दिल्ली के निवासियों और पर्यावरण के लिए एक सकारात्मक कदम था।