पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का निधन, पंजाब से जुड़ी उनकी यादें
भारत के पूर्व प्रधानमंत्री और महान अर्थशास्त्री डॉ. मनमोहन सिंह का 92 वर्ष की आयु में 26 दिसंबर को दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) में निधन हो गया। वह पिछले कुछ महीनों से बीमार चल रहे थे और उनके निधन की खबर से देशभर में शोक की लहर दौड़ गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित देशभर के नेताओं, नागरिकों और उनके समर्थकों ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की है।
एम्स द्वारा आधिकारिक घोषणा
एम्स दिल्ली द्वारा जारी की गई बुलेटिन के अनुसार, “26 दिसंबर को रात आठ बजकर छह मिनट पर डॉ. मनमोहन सिंह को गंभीर हालत में एम्स लाया गया था। तमाम कोशिशों के बावजूद उन्हें होश में नहीं लाया जा सका, और रात 9:51 बजे उन्हें मृत घोषित कर दिया गया।” उनके निधन से पहले,वह कई महीनों से स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से जूझ रहे थे। इस कठिन घड़ी में देश ने एक महान नेता को खो दिया, जिनके नेतृत्व और निर्णयों ने भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान की थी।
सात दिन का राष्ट्रीय शोक घोषित
भारत सरकार ने डॉ. मनमोहन सिंह के निधन पर सात दिन का राष्ट्रीय शोक घोषित किया है। यह शोक देशभर में उनके योगदान को श्रद्धांजलि देने के रूप में मनाया जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शोक व्यक्त करते हुए कहा, “डॉ. मनमोहन सिंह का निधन देश के लिए एक बड़ा नुकसान है। उनका जीवन प्रेरणा देने वाला था और उनकी सोच ने देश को नई दिशा दी।”
प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि “मनमोहन सिंह का कार्यकाल भारतीय राजनीति और अर्थशास्त्र के लिए मील का पत्थर था। उनकी नेतृत्व क्षमता, विनम्रता और ईमानदारी हमेशा हमारे दिलों में बनी रहेगी।”
हिंदू कॉलेज अमृतसर में उनके क्लासमेट रहे हंसराज चौधरी का शोक संदेश
डॉ. मनमोहन सिंह के निधन पर उनके पुराने साथी और हिंदू कॉलेज अमृतसर में उनके क्लासमेट रहे रिटायर प्रोफेसर हंसराज चौधरी ने भी दुख व्यक्त किया है। उन्होंने कहा, “डॉ. मनमोहन सिंह और मैं कॉलेज के सबसे होशियार छात्रों में से थे। हमने साथ में कई साल बिताए और मुझे याद है कि वह हमेशा बेहद विनम्र और गंभीर छात्र होते थे।” हंसराज चौधरी ने अपने जीवन के उस वक्त को याद करते हुए कहा कि वे दोनों अपनी पढ़ाई के प्रति बहुत समर्पित थे, और यही कारण था कि वे दोनों एक-दूसरे से बहुत प्रभावित होते थे।
हंसराज चौधरी ने यह भी बताया कि कई सालों बाद एक बार जब डॉ. मनमोहन सिंह चंडीगढ़ में उनसे मिले, तो वह उन्हें एकदम से पहचान गए और फिर से वही गर्मजोशी दिखाते हुए बातचीत की। यह दर्शाता है कि उनका व्यक्तित्व न केवल देश के लिए बल्कि उनके पुराने मित्रों के लिए भी अत्यंत प्रेरणादायक था। चौधरी, जो पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज में प्रोफेसर रहे हैं, ने कहा, “मनमोहन सिंह एक असाधारण व्यक्तित्व थे, जो हमेशा विनम्रता और सादगी में रहते हुए अपनी बुद्धिमानी से सबका दिल जीतते थे।”
भारतीय राजनीति और अर्थशास्त्र के महान नेता
डॉ. मनमोहन सिंह का कार्यकाल भारतीय राजनीति के लिए ऐतिहासिक रहा। उन्होंने 2004 से 2014 तक देश के 14वें प्रधानमंत्री के रूप में सेवाएं दीं। उनके प्रधानमंत्री बनने से पहले उन्होंने 1991 में भारत के वित्त मंत्री के रूप में कार्य किया था, जब देश गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर रहा था। उस समय उन्होंने आर्थिक उदारीकरण की नीति को लागू कर भारतीय अर्थव्यवस्था को वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार किया। उनके नेतृत्व में भारत ने कई प्रमुख आर्थिक सुधार किए, जिनमें विदेशी निवेश के लिए दरवाजे खोले गए और भारतीय बाजारों को वैश्विक रूप से एकीकृत किया गया।
डॉ. मनमोहन सिंह को दुनिया भर में उनकी आर्थिक विद्वता और कार्यों के लिए सम्मान मिला। उन्हें आर्थिक सुधारों का जनक माना जाता है, और उनका योगदान भारतीय अर्थव्यवस्था को एक नई दिशा देने में अत्यंत महत्वपूर्ण था। उनके प्रयासों से भारत ने 1991 के बाद कई वैश्विक आर्थिक संकटों को प्रभावी ढंग से पार किया।
परिवार और व्यक्तिगत जीवन
मनमोहन सिंह का पारिवारिक जीवन भी अत्यंत सरल और सादा था। उनकी पत्नी गुरशरण कौर और उनकी तीन बेटियां थीं। वह हमेशा अपने परिवार को सबसे ऊपर मानते थे और अपने निजी जीवन को पूरी तरह से एक सादगी के साथ जीते थे। उनके परिवार के सदस्य, खासकर उनकी पत्नी गुरशरण कौर, उनके जीवन के सबसे महत्वपूर्ण साथी थे।
डॉ. मनमोहन सिंह का व्यक्तिगत जीवन भी उनके सार्वजनिक जीवन की तरह ही विनम्र और संयमित था। उनका पूरा ध्यान भारत के विकास और सुधारों पर था, लेकिन उनके दिल में हमेशा अपने परिवार और प्रियजनों के लिए विशेष स्थान था।