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PUNJAB : कनाडा में पंजाबी युवाओं की मुश्किलें बढ़ीं, त्रूदो सरकार की नीतियों का शिकार बने छात्र

कनाडा में शिक्षा और बेहतर जीवन की उम्मीद लेकर पहुंचे पंजाबी छात्रों के लिए हालात अब विकट हो गए हैं। कनाडा की प्रधानमंत्री जस्टिन त्रूदो की सरकार ने हाल ही में अपनी इमिग्रेशन नीतियों में बदलाव किए हैं, जिनका सीधा असर यहां रहने वाले पंजाबी युवाओं पर पड़ा है। स्टडी परमिट और परमानेंट रेजिडेंसी नॉमिनेशन की संख्या में की गई कटौती, एलएमआईए (लैबोर मार्केट इम्पैक्ट असेसमेंट) समेत कई अन्य नियमों में उलटफेर के कारण लगभग 5 लाख पंजाबी युवा अधर में लटक गए हैं। इन युवाओं का भविष्य अब एक बड़े संकट से जूझ रहा है, और कनाडा में रहने की उनकी उम्मीदें फीकी पड़ रही हैं।

कनाडा में इमिग्रेशन बैकलॉग, संकट की ओर बढ़ते पंजाबी छात्र

कनाडा में पिछले कुछ महीनों में इमिग्रेशन, शरणार्थी और नागरिकता संबंधी मामलों का बैकलॉग तेजी से बढ़ा है। 4 नवंबर को जारी किए गए नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, 30 सितंबर, 2024 तक कनाडा में 10,97,000 इमिग्रेशन आवेदन लंबित थे, जिसमें करीब 40 प्रतिशत पंजाबी मूल के थे। इन फाइलों को न तो मंजूरी मिल रही है और न ही निपटारा हो रहा है, जिससे युवाओं के लिए भविष्य की राह और भी कठिन हो गई है।

इसके अतिरिक्त, वर्क वीजा के एक्सपायर होने के बावजूद, सरकार परमानेंट रेजिडेंसी (पीआर) के लिए आवेदन प्रक्रिया को पूरा नहीं कर पा रही है। यह स्थिति ऐसे समय में उत्पन्न हुई है जब कनाडा में काम करने के लिए आवश्यक परमिट और वीजा की स्थिति भी जटिल हो गई है, और युवा कार्य वीजा की समाप्ति से पहले स्थायी निवास की स्थिति प्राप्त करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।

कनाडा में परेशान पंजाबी छात्र

कनाडा में पिछले चार वर्षों से रह रहे सुमित कुमार ने बताया, “मैंने चार साल पहले कनाडा में पढ़ाई के लिए कदम रखा था और अब पीआर के लिए आवेदन किया हुआ है, लेकिन किसी भी उम्मीद की किरण नहीं दिखाई दे रही है। कनाडा में दिन-ब-दिन इमिग्रेशन के नियम सख्त होते जा रहे हैं और अब त्रूदो सरकार के इस्तीफे के बाद यह सवाल उठता है कि कौन नए इमिग्रेशन नीतियों की दिशा तय करेगा।”

यह स्थिति केवल सुमित कुमार तक सीमित नहीं है, बल्कि हजारों पंजाबी छात्रों को इसी तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। इन्हें उम्मीद थी कि पढ़ाई के बाद वे स्थायी निवास प्राप्त कर सकेंगे, लेकिन अब उनकी उम्मीदें धुंधली होती जा रही हैं।

युवाओं के पास केवल दो विकल्प

इमिग्रेशन विशेषज्ञ परविंदर मोंटू के अनुसार, “पंजाबी युवाओं के पास अब केवल दो विकल्प हैं। एक तो यह कि वे अवैध रूप से कनाडा में रहकर अपना जीवन व्यतीत करें, या फिर कनाडा छोड़कर अपने घर लौट आएं।” मोंटू ने यह भी बताया कि कुछ युवा अब कनाडा से अमेरिका की ओर रुख कर रहे हैं। एक साल के भीतर 46,000 से अधिक कनाडा से अमेरिका का बॉर्डर क्रॉस करते हुए पकड़े गए युवा चिंता का विषय बन चुके हैं।

कनाडा के विभिन्न प्रांतों, जैसे कि प्रिंस एडवर्ड आइलैंड, ओंटारियो, मैनिटोबा, और ब्रिटिश कोलंबिया में पंजाबी मूल के छात्रों द्वारा विरोध प्रदर्शन किए जा रहे हैं। यह विरोध प्रदर्शन सरकार की नीतियों के खिलाफ है और छात्रों की बढ़ती हुई परेशानियों का प्रतीक है।

2024 में और बढ़ेगी समस्या

कनाडा की सरकारी एजेंसी इमिग्रेशन रिफ्यूजीज एंड सिटीजनशिप के मुताबिक, 2024 में लगभग 3,60,000 वर्क परमिट की उम्मीद है, जो 2023 के मुकाबले 35 फीसदी कम है। इससे यह साफ संकेत मिल रहा है कि आने वाले समय में पंजाबी मूल के युवाओं के लिए हालात और भी कठिन हो सकते हैं। जिन युवाओं के पास वर्क वीजा है, उनके लिए परमानेंट रेजिडेंसी के आवेदन लंबित हैं, जिससे उनकी स्थिति और भी जटिल हो गई है।

2025 में 50 लाख परमिट समाप्त होंगे

वैंकूवर में स्टडी वीजा एक्सपर्ट मुनीश शर्मा का कहना है कि 2025 तक कनाडा में कुल 50 लाख परमिट समाप्त होने वाले हैं, जिनमें से 7 लाख परमिट विदेशी छात्रों के हैं, जिनमें भारी संख्या पंजाबी मूल के छात्रों की है। शर्मा ने बताया, “सरकार की नीतियों के कारण छात्रों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिए हैं, लेकिन सरकार दिन-प्रतिदिन नियमों को सख्त कर रही है, और युवा अब संकट में हैं।”

त्रूदो सरकार की नीतियों पर सवाल

कनाडा में शिक्षा प्राप्त करने आए लाखों भारतीय छात्र, विशेषकर पंजाबी मूल के, अब त्रूदो सरकार की नीतियों के शिकार बन गए हैं। जहां एक ओर वे अपने भविष्य को लेकर आशान्वित थे, वहीं अब उनका जीवन अनिश्चितता के शिकार हो गया है। छात्र लगातार यह सवाल उठा रहे हैं कि प्रधानमंत्री त्रूदो के इस्तीफे के बाद कनाडा की इमिग्रेशन नीतियों का क्या होगा और यह बदलाव उन्हें किस हद तक प्रभावित करेगा।

कनाडा की सरकार ने जो कदम उठाए हैं, वे अब एक बड़ी चुनौती बन चुके हैं, और इसके समाधान की दिशा में कोई ठोस कदम उठाना आवश्यक है। पंजाबी छात्रों का भविष्य अब सरकार के फैसलों और नीतियों पर निर्भर करता है, और ऐसे में सरकार को जल्द से जल्द कोई ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।

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