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BCCI ने टीम इंडिया के लिए कड़े फैसले किए, विदेशी दौरे पर पत्नियों के साथ रहने की सीमा तय

भारतीय क्रिकेट टीम को हाल ही में ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के खिलाफ टेस्ट मैचों में करारी हार का सामना करना पड़ा, जिसके बाद टीम की प्रदर्शन पर सवाल उठने लगे। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने इन हारों पर गहरी चिंता जताई और इसको लेकर एक रिव्यू मीटिंग का आयोजन किया। बैठक के दौरान टीम इंडिया को लेकर कई अहम फैसले लिए गए, जिनमें खिलाड़ियों के विदेशी दौरे पर रहने के नियमों में बदलाव और सपोर्ट स्टाफ के कार्यकाल को लेकर नया नियम शामिल है।

विदेशी दौरे पर पत्नियों के साथ रहने की सीमा तय

रिपोर्ट्स के मुताबिक, बीसीसीआई ने तय किया है कि अब खिलाड़ी विदेशी दौरे पर अपनी पत्नियों के साथ ज्यादा दिन नहीं रह सकेंगे। अब खिलाड़ियों को 45 दिनों तक चलने वाले विदेशी दौरे पर केवल 14 दिन तक अपनी पत्नियों के साथ रहने की अनुमति होगी। इससे पहले, कई खिलाड़ी अपनी पत्नियों के साथ लंबे समय तक रहने के लिए दौरे पर रहे थे, लेकिन अब बीसीसीआई ने इस पर कड़ा रुख अपनाया है। इसका उद्देश्य टीम के प्रदर्शन में सुधार और खिलाड़ियों के फोकस को बनाए रखना है।

यह फैसला विशेष रूप से तब लिया गया जब हाल ही में भारतीय टीम ने ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के खिलाफ टेस्ट सीरीज में बेहद निराशाजनक प्रदर्शन किया था। खिलाड़ियों के व्यक्तिगत जीवन को लेकर बोर्ड का मानना ​​है कि इसका असर टीम के सामूहिक प्रदर्शन पर पड़ सकता है, खासकर जब वे विदेशी परिस्थितियों में संघर्ष कर रहे होते हैं।

टीम बस से यात्रा के नए नियम

बीसीसीआई ने टीम इंडिया के सीनियर खिलाड़ियों द्वारा टीम बस के बजाय अलग से यात्रा करने की प्रथा पर भी ध्यान दिया है। कई बार, भारतीय खिलाड़ियों को होटल से स्टेडियम तक अलग से यात्रा करते हुए देखा गया है। इस मामले में सबसे ज्यादा चर्चा विराट कोहली के नाम को लेकर हो रही है, जिन्होंने कई बार निजी वाहन से यात्रा की है। हालांकि, बीसीसीआई ने इस प्रथा पर कड़ा रुख अपनाया है और अब यह निर्णय लिया है कि सभी खिलाड़ी टीम बस से यात्रा करेंगे।

यह नियम टीम के सामूहिक एकजुटता और एकजुटता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से लिया गया है। बोर्ड का मानना ​​है कि इससे टीम की एकजुटता बढ़ेगी और खिलाड़ियों के बीच बेहतर संवाद और समन्वय स्थापित होगा। यह फैसला तब लिया गया जब यह देखा गया कि कुछ सीनियर खिलाड़ी अपनी अलग यात्रा करने में संकोच नहीं करते, जो कि एकता और टीम भावना को कमजोर कर सकता है।

सपोर्ट स्टाफ के कार्यकाल को लेकर नया नियम

टीम इंडिया की हार के बाद, हेड कोच गौतम गंभीर और अन्य सपोर्ट स्टाफ के कामकाजी तरीकों पर भी सवाल उठे थे। विशेष रूप से, टीम इंडिया के सपोर्ट स्टाफ में कई लोग ऐसे हैं जो कई सालों से इस पद पर बने हुए हैं। यह भी देखा गया है कि कुछ कोच और स्टाफ का कार्यकाल अत्यधिक लंबा था, जिससे उनकी नीतियों और कार्यप्रणाली में नयापन की कमी महसूस हो रही थी।

अब बीसीसीआई ने इस पर भी फैसला लिया है कि टीम इंडिया के सपोर्ट स्टाफ का कार्यकाल अब दो साल का होगा। इस नियम के तहत, यदि कोई सपोर्ट स्टाफ सदस्य अच्छा प्रदर्शन करता है, तो उनका कार्यकाल एक साल और बढ़ाकर कुल तीन साल तक किया जा सकता है। यह कदम यह सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है कि टीम को नए विचार और रणनीतियों का लाभ मिले, जो निरंतर सफलता की ओर ले जा सकें।

कप्तान रोहित शर्मा और हेड कोच गौतम गंभीर पर भी उठे सवाल

टीम इंडिया की हार के बाद, कप्तान रोहित शर्मा और हेड कोच गौतम गंभीर पर भी आलोचनाएं की गईं। दोनों ही प्रमुख फैसलों और रणनीतियों के लिए जिम्मेदार ठहराए गए, खासकर तब जब टीम विदेशों में अपने खेल में प्रभावी प्रदर्शन करने में विफल रही थी। इन आलोचनाओं के बाद, बीसीसीआई ने यह सुनिश्चित किया कि टीम में सुधार के लिए सही कदम उठाए जाएं, जिससे आने वाली सीरीज में भारत को सफलता मिले।

कई विशेषज्ञों का मानना ​​है कि टीम के प्रदर्शन में सुधार के लिए एक नई कार्यप्रणाली और दृढ़ नेतृत्व की आवश्यकता है। इसके साथ ही खिलाड़ियों और कोच के बीच सामंजस्य भी जरूरी है ताकि वे अपने कौशल और रणनीतियों के माध्यम से दुनिया भर में भारत को जीत दिला सकें।

विदेशी दौरे पर कड़ी निगरानी

टीम इंडिया के प्रदर्शन में सुधार के लिए बीसीसीआई ने एक अन्य महत्वपूर्ण कदम उठाया है। अब विदेश दौरे पर खिलाड़ियों पर कड़ी निगरानी रखी जाएगी। यह कदम खिलाड़ियों की मानसिक स्थिति और तैयारी को बेहतर बनाने के लिए उठाया गया है, ताकि वे प्रतियोगिता में बेहतर प्रदर्शन कर सकें। इसके तहत खिलाड़ियों के खेल से संबंधित और व्यक्तिगत जीवन से जुड़े सभी पहलुओं पर निगरानी रखी जाएगी।

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