Uttarakhand

UTTARAKHAND के सैंजी गांव में मनाएं न्यू ईयर, मक्के से सजे घरों के बीच एक अनोखा अनुभव

टिहरी, उत्तराखंड: अगर आप इस बार न्यू ईयर पर किसी ऐसी जगह जाना चाहते हैं जहां शांति, सुंदरता और संस्कृति का मिश्रण हो, तो उत्तराखंड के टिहरी जिले के सैंजी गांव को अपनी यात्रा की सूची में जरूर शामिल करें। यह गांव न केवल अपनी प्राकृतिक खूबसूरती के लिए मशहूर है, बल्कि यहां की एक अनोखी परंपरा भी इसे एक विशेष पहचान देती है। सैंजी गांव को “कॉर्न विलेज” के नाम से जाना जाता है, जहां हर घर की छत, दीवारों और आंगन में मक्का लटकता नजर आता है। इस अद्भुत दृश्य को देखने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं और इस गांव की संस्कृति और परंपरा से प्रभावित होते हैं।

सैंजी गांव की आकर्षक परंपरा: मक्का और भुट्टे से सजे घर

सैंजी और भटोली गांव, जो मसूरी से करीब 16 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं, इन दिनों “कॉर्न विलेज” के नाम से चर्चित हो गए हैं। यहां की खास बात यह है कि हर घर में मक्के या भुट्टों की एक अनोखी सजावट होती है। यह परंपरा यहाँ के स्थानीय लोगों की अनूठी संस्कृति का हिस्सा बन चुकी है। आपको यहां के हर घर की दीवारों, छतों, आंगन और दरवाजों पर मक्का लटका हुआ मिलेगा। यह दृश्य निश्चित ही किसी भी पर्यटक को आकर्षित करने के लिए काफी है।

इन मक्कों को घरों की सजावट का हिस्सा माना जाता है, लेकिन असल में इनका एक खास उद्देश्य भी है। सैंजी गांव के लोग परंपरागत कृषि पद्धतियों का पालन करते हुए मक्के की बड़ी पैदावार करते हैं। यहां का मुख्य उद्देश्य मक्का उगाने के साथ-साथ बीजों का संचय भी करना है। लोग मक्के को बीज के रूप में बचाकर रखते हैं ताकि वे अगले साल फिर से खेती में उपयोग कर सकें।

सैंजी के मक्के की संस्कृति और इतिहास

सैंजी गांव की मक्का लटकाने की परंपरा बहुत पुरानी है, लेकिन इसे एक नया मोड़ उस समय मिला जब स्थानीय निवासी कुंवर सिंह ने इस परंपरा को नया आकार दिया। कुंवर सिंह ने अपनी पढ़ाई के दौरान शहर का रुख किया और वहां एक विदेशी महिला से विवाह किया। जब वे अपने गांव लौटे, तो उन्होंने देखा कि उनके गांव में मक्का की परंपरा पहले से ही थी, लेकिन उन्होंने इसे एक नए तरीके से अपनाया।

कुंवर सिंह की विदेश यात्रा और उनकी शादी ने इस परंपरा में नया रंग डाला। कहा जाता है कि जब विदेशी मेहमान उनके घर आते थे, तो वे छतों पर टंगे मक्कों को देखकर काफी खुश होते थे। इससे कुंवर सिंह को यह आइडिया आया कि क्यों न इस परंपरा को और अधिक सजाया जाए और गांव के घरों को सुंदरता से सजाने का काम किया जाए। इसके बाद से यह परंपरा तेजी से फैलने लगी और धीरे-धीरे सैंजी गांव का हर घर मक्के से सजा हुआ दिखाई देने लगा।

मक्के के आकर्षण से पर्यटन में वृद्धि

आजकल सैंजी गांव में मक्कों से सजे घरों का दृश्य पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है। यहां आने वाले पर्यटक सिर्फ गांव की खूबसूरती ही नहीं, बल्कि इसकी अनोखी परंपरा और संस्कृति का भी अनुभव करना चाहते हैं। इस गांव में कई कैफे और रेस्टोरेंट भी इस विशेष थीम पर बनाए गए हैं, जो मक्के से सजी दीवारों, छतों और दरवाजों से सजा हुआ है। यह सभी जगहें पर्यटकों को अपनी संस्कृति और सैद्धांतिकता का एक अनोखा अनुभव प्रदान करती हैं।

सैंजी और भटोली गांव में आने वाले पर्यटक यहां के शांत वातावरण का लुत्फ उठाते हैं और मक्के से सजी हुई संरचनाओं के बीच घूमते हुए एक अलग ही आनंद का अनुभव करते हैं। यह जगह उन लोगों के लिए आदर्श है जो प्रकृति के साथ-साथ ग्रामीण जीवन की असल सच्चाई और संस्कृति को भी जानना चाहते हैं।

सैंजी गांव: एक अनोखी सांस्कृतिक पहचान

सैंजी गांव के लोगों के लिए यह परंपरा सिर्फ एक कृषि क्रिया नहीं, बल्कि यह उनके जीवन का हिस्सा बन चुकी है। यहां के लोग इसे एक संस्कृति के रूप में देखते हैं, जिसमें मक्का सिर्फ खाने का पदार्थ नहीं बल्कि एक सांस्कृतिक प्रतीक बन चुका है। मक्के का लटकना और घरों की दीवारों पर टंगना गांव की पहचान बन गई है और अब यह पर्यटन को बढ़ावा देने का एक प्रमुख कारण बन चुका है।

इस अनोखी परंपरा ने सैंजी गांव को एक अलग पहचान दी है, और यहां आने वाले पर्यटकों के लिए यह एक विशेष आकर्षण का केंद्र बन गया है। जो लोग शहरी जीवन की भीड़-भाड़ से दूर शांति और सादगी का अनुभव करना चाहते हैं, उनके लिए यह जगह एक आदर्श पर्यटन स्थल बन चुकी है।

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