Uttarakhand

सीएम पुष्कर सिंह धामी ने नए साल पर दी संकेत, उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता जल्द होगी लागू

देहरादून: उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने नए साल के पहले दिन सोशल मीडिया प्लेटफार्म ‘एक्स’ (पूर्व ट्विटर) पर इस संबंध में पोस्ट लिखते हुए संकेत दिए कि देवभूमि में जल्द ही समान नागरिक संहिता लागू होगी। उन्होंने अपने संदेश में कहा कि इस कानून के लागू होने से प्रदेश के नागरिकों को समान अधिकार मिलेंगे और यह देवभूमि के मूल स्वरूप को बनाए रखने में भी सहायक होगा। मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि इस कानून को लागू करने के लिए आवश्यक कदम पहले ही उठा लिए गए हैं।

क्या है समान नागरिक संहिता (यूसीसी)?

समान नागरिक संहिता (यूसीसी) एक ऐसा कानून है जो सभी नागरिकों को एक समान नागरिक अधिकार प्रदान करने के उद्देश्य से बनाया जाता है। इस कानून का मुख्य उद्देश्य धार्मिक और जातीय भेदभाव को समाप्त करना और सभी नागरिकों को समान अधिकार, कर्तव्य और जिम्मेदारियां प्रदान करना है। यूसीसी का उद्देश्य विभिन्न धार्मिक समुदायों के लिए अलग-अलग निजी कानूनों की बजाय एक ही सार्वभौमिक कानून लागू करना है।

भारत में इस मुद्दे पर लंबे समय से बहस चल रही है, लेकिन अब उत्तराखंड एक राज्य के रूप में इस दिशा में कदम बढ़ा रहा है। राज्य सरकार ने 2024 में इस कानून को लागू करने के लिए विधायिका से मंजूरी प्राप्त की थी और अब इसे प्रदेश में लागू करने की प्रक्रिया तेज़ हो चुकी है।

मुख्यमंत्री का बयान

सीएम पुष्कर सिंह धामी ने अपने पोस्ट में कहा, “देवभूमि उत्तराखंड की देवतुल्य जनता के आशीर्वाद से हम प्रदेश में नागरिकों को समान अधिकार देने के लिए यूनिफॉर्म सिविल कोड (यूसीसी) जल्द लागू करने जा रहे हैं। यह कानून न केवल समानता को बढ़ावा देगा, बल्कि देवभूमि के मूल स्वरूप को बनाए रखने में भी सहायक सिद्ध होगा।”

मुख्यमंत्री धामी के अनुसार, यह कानून राज्य के सामाजिक ताने-बाने को मजबूती प्रदान करेगा और नागरिकों के बीच भेदभाव को खत्म करेगा। उनका यह भी कहना था कि यह कदम राज्य में एकता और अखंडता को प्रोत्साहित करेगा और धार्मिक स्वतंत्रता और समानता के सिद्धांत को मजबूत करेगा।

उत्तराखंड सरकार का यूसीसी के लिए कदम

उत्तराखंड सरकार ने 2024 में समान नागरिक संहिता के लिए कानून पारित किया था। मुख्यमंत्री धामी ने यूसीसी का मसौदा तैयार करने के लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया था, जिसकी अध्यक्षता उच्च न्यायालय की सेवानिवृत्त न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई ने की थी। समिति ने अपने काम को लेकर कई महीनों की मेहनत के बाद फरवरी 2024 में राज्य सरकार को यूसीसी का मसौदा प्रस्तुत किया।

यह मसौदा चार खंडों में तैयार किया गया था और इसमें विवाह, तलाक, संपत्ति अधिकार, उत्तराधिकार और अन्य निजी मामलों के लिए एक समान कानून का प्रस्ताव था। मसौदे में महिलाओं के अधिकारों को लेकर कई महत्वपूर्ण प्रावधानों पर भी विचार किया गया था, ताकि उनका सामाजिक और कानूनी संरक्षण सुनिश्चित हो सके।

धामी सरकार ने कुछ समय बाद विधानसभा में उत्तराखंड समान नागरिक संहिता विधेयक पेश किया, जिसे 7 फरवरी 2024 को विधानसभा ने सर्वसम्मति से पारित किया। इस विधेयक के पारित होने के बाद अब राज्य में यूसीसी लागू करने के लिए कानूनी प्रक्रिया पूरी हो चुकी है।

विशेषज्ञ समिति की भूमिका

रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में गठित समिति ने इस मसौदे पर व्यापक विचार-विमर्श किया और विभिन्न समाजिक, सांस्कृतिक, और धार्मिक पहलुओं का ध्यान रखा। समिति ने राज्य के विभिन्न समुदायों के प्रतिनिधियों से भी राय ली, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि यूसीसी के तहत सभी समुदायों के हितों का संरक्षण किया जा सके।

समिति ने अपनी रिपोर्ट में यह भी सुझाव दिया था कि यूसीसी के लागू होने से पहले व्यापक जागरूकता अभियान चलाना चाहिए, ताकि लोग इस कानून के महत्व को समझ सकें और इसके बारे में गलत धारणाओं से बच सकें। इसके अलावा, समिति ने यह भी कहा था कि यूसीसी लागू करते समय किसी भी समुदाय की धार्मिक स्वतंत्रता में कोई हस्तक्षेप नहीं किया जाएगा, बल्कि इसका उद्देश्य समान नागरिक अधिकारों को बढ़ावा देना है।

राज्य के विकास में यूसीसी की भूमिका

सीएम पुष्कर सिंह धामी ने यह भी कहा कि यूसीसी लागू होने के बाद राज्य के सामाजिक और कानूनी ढांचे में एक सकारात्मक बदलाव आएगा। यह कानून समाज में समानता, न्याय, और सद्भावना को बढ़ावा देगा। साथ ही, यह प्रदेश के समग्र विकास में भी सहायक सिद्ध होगा, क्योंकि सामाजिक न्याय और समान अधिकार नागरिकों में विश्वास पैदा करेंगे और राज्य में शांति और एकता को बढ़ावा मिलेगा।

सीएम धामी ने कहा, “हमारा यह प्रयास है कि उत्तराखंड में हर नागरिक को समान अधिकार मिले और हर व्यक्ति को बिना किसी भेदभाव के कानून का समान संरक्षण प्राप्त हो। यह न केवल कानून की दृष्टि से जरूरी है, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी यह प्रदेश के लिए एक ऐतिहासिक कदम होगा।”

राज्य सरकार की तैयारियां

उत्तराखंड सरकार ने यूसीसी लागू करने के लिए सभी आवश्यक तैयारी कर ली है। सरकार ने विभिन्न विभागों के अधिकारियों और कानूनी विशेषज्ञों के साथ मिलकर इस कानून के कार्यान्वयन के लिए रणनीतियों पर काम किया है। इसके अलावा, राज्य में विभिन्न जागरूकता कार्यक्रमों और संगोष्ठियों का आयोजन भी किया जाएगा, ताकि लोग इस कानून के महत्व को समझें और इसके प्रावधानों को सही तरीके से लागू किया जा सके।

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