Uttarakhand

नए साल के जश्न के लिए औली में उमड़ी भीड़, पांच हजार पर्यटक पहुंचे

जैसे ही 2024 का अंत नजदीक आया, औली ने नए साल के स्वागत के लिए पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित किया। औली की बर्फीली पहाड़ियों में स्थित होटलों, लॉज और होम स्टे में भारी बुकिंग देखी गई। कुल मिलाकर, करीब पांच हजार पर्यटक इस हसीन स्थल पर नए साल का जश्न मनाने पहुंचे हैं। इस पर्वतीय स्थल ने प्राकृतिक सुंदरता और पहाड़ी परंपराओं को मिश्रित करते हुए पर्यटकों के लिए एक अविस्मरणीय अनुभव प्रदान किया।

औली में सर्दी का मजा और नए साल का जश्न

औली, जिसे विंटर डेस्टिनेशन के रूप में जाना जाता है, इस समय पर्यटकों से खचाखच भरा हुआ है। बर्फबारी के बाद से पर्यटकों का तांता इस खूबसूरत स्थल की ओर बढ़ने लगा। 31 दिसंबर की रात, जब साल 2024 को विदाई दी जा रही थी और 2025 का स्वागत किया जा रहा था, औली की वादियों में बर्फ के बीच रंगीन रोशनी और संगीत की धुनें गूंज रही थीं।

पर्यटकों के लिए विशेष सुविधाएं

औली के सभी होटलों और लॉज में इस खास मौके को लेकर विशेष इंतजाम किए गए थे। यहां के होटल व्यवसायियों ने कैंप फायर के साथ डीजे पर संगीत की व्यवस्था की थी, जिससे पर्यटकों का आनंद दोगुना हो गया। इसके अलावा, पहाड़ी व्यंजनों की विशेष व्यवस्था की गई थी, जो पर्यटकों को स्थानीय संस्कृति और स्वाद से रूबरू करवा रहे थे।

गढ़वाल मंडल विकास निगम के प्रबंधक, प्रदीप शाह ने बताया कि निगम के होटलों में पहाड़ी व्यंजनों की खास पेशकश की गई थी। इनमें गहत की दाल, आलू की थिच्वाणी, कोदे की रोटी और झंगोरे की खीर जैसी पारंपरिक उत्तराखंडी डिशें शामिल थीं, जिनका स्वाद पर्यटकों ने बेहद पसंद किया। वहीं, औली के होटल व्यवसायी अजय भट्ट के अनुसार, पर्यटकों का स्वागत पारंपरिक तरीके से किया गया, जिसमें उन्हें चाय और अरसे (पारंपरिक उत्तराखंडी पकवान) से स्वागत किया गया।

बर्फ पर मस्ती और सर्दियों का रोमांच

औली के पर्यटन में एक खास आकर्षण यहाँ की बर्फबारी है, जहां पर्यटक बर्फ पर स्कीइंग और स्नोबोर्डिंग का आनंद लेते हैं। इसके अलावा, कई पर्यटकों ने यहाँ घुड़सवारी का भी लुत्फ उठाया। औली में स्थित चेयर लिफ्ट और गोंडोला राइड्स ने इस अनुभव को और भी रोमांचक बना दिया। दीपक डिमरी, जो चेयर लिफ्ट के प्रभारी हैं, ने बताया कि 31 दिसंबर को 1200 से अधिक पर्यटकों ने चेयर लिफ्ट का इस्तेमाल किया और औली की हसीन वादियों का नजारा लिया।

यातायात और सुरक्षा की व्यवस्था

औली पहुंचने के रास्ते में किसी भी प्रकार की कठिनाई से बचने के लिए प्रशासन ने पूरी तरह से व्यवस्था की थी। पर्यटकों के वाहन ज्योतिर्मठ के रविग्राम में रोके गए थे, और वहां से स्थानीय वाहनों द्वारा पर्यटकों को औली भेजा गया। इस व्यवस्था के कारण औली मार्ग पर जाम की समस्या से बचाव हुआ और पर्यटकों को कोई परेशानी नहीं हुई।

सड़क पर पाले के कारण फिसलन बनी हुई थी, लेकिन बीआरओ (भा.से.वा.रोड्स) के कर्मचारियों ने यूरिया और नमक का छिड़काव किया ताकि सड़क पर आवागमन बिना किसी दिक्कत के जारी रह सके।

पर्यावरण संरक्षण की पहल

नए साल की खुशियों के साथ-साथ औली में पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी कई कदम उठाए गए। नगर पालिका परिषद ज्योतिर्मठ ने पर्यावरण मित्रों और स्नो वारियर्स द्वारा स्वच्छता अभियान चलाया। इस अभियान के तहत पर्यटकों द्वारा छोड़े गए प्लास्टिक कचरे को इकट्ठा किया गया और उसे निस्तारण के लिए पालिका के कूड़ेदान में डाला गया। इसके साथ ही पर्यटकों से औली को स्वच्छ रखने की अपील की गई।

स्थानीय व्यवसाय और पर्यटन

औली का पर्यटन स्थानीय व्यवसायों के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण है। यहाँ के छोटे और बड़े होटल व्यवसायी, रेस्तरां, और स्थानीय दुकानदार इस समय अपनी कमाई का मुख्य हिस्सा पर्यटन से ही अर्जित करते हैं। स्थानीय उत्पादों, जैसे पहाड़ी जड़ी-बूटियों, हस्तशिल्प और जैविक खाद्य उत्पादों की बिक्री बढ़ी है।

गांवों के लोग भी पर्यटकों का स्वागत करते हैं और उन्हें स्थानीय हस्तशिल्प उत्पाद, जैसे ऊनी शॉल, कंबल, और अन्य पारंपरिक वस्त्र बेचने का अवसर प्राप्त करते हैं। यह केवल पर्यटकों के लिए खरीदारी का अनुभव नहीं है, बल्कि स्थानीय समुदाय के लिए रोजगार का भी एक अहम स्रोत है।

आने वाले समय में औली का पर्यटन

औली के पर्यटन का भविष्य और भी उज्जवल नजर आ रहा है। बर्फबारी और स्कीइंग के साथ-साथ यहाँ के पहाड़ी व्यंजन, सांस्कृतिक कार्यक्रम और स्वच्छता अभियान जैसे पहलुओं से पर्यटकों का अनुभव बहुत ही समृद्ध हो रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि उत्तराखंड के अन्य पर्वतीय क्षेत्रों की तुलना में औली के पर्यटन में साल दर साल वृद्धि हो सकती है, खासकर शीतकाल में।

हालांकि, बढ़ते पर्यटन के साथ पर्यावरणीय चुनौतियाँ भी सामने आ सकती हैं। ऐसे में स्थानीय प्रशासन और पर्यटन उद्योग को पर्यावरण संरक्षण और संरक्षित पर्यटन की दिशा में ठोस कदम उठाने की आवश्यकता होगी, ताकि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी औली की सुंदरता बरकरार रहे।

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