Uttarakhand

बारिश और बर्फबारी के बाद उत्तराखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़ी मुश्किलें

उत्तराखंड में दो दिन से जारी बारिश और बर्फबारी के बाद ग्रामीण इलाकों में जीवन सामान्य से अधिक कठिन हो गया है। भारी बर्फबारी और सर्द हवाओं के कारण लोग अब मुश्किलों का सामना कर रहे हैं। विशेष रूप से निजमुला घाटी के गांवों में बर्फ के कारण हर दिन की गतिविधियां बाधित हो गई हैं। खेत-खलिहान, सड़कें, और पैदल रास्ते बर्फ से ढक गए हैं, जिससे लोगों को आवाजाही में भारी दिक्कतें आ रही हैं।

बर्फ से ढके रास्ते और प्रभावित जीवन

निजमुला घाटी के पाणा, ईराणी, झींझी, सुतोल, कनोल, रामणी, पडेरगांव, ल्वाणीं जैसे गांवों में बर्फ की मोटी परतें जमा हो गई हैं। सड़कें पूरी तरह से बर्फ से ढक चुकी हैं, जिससे ग्रामीणों के लिए बाहर निकलना और आवश्यक काम करना मुश्किल हो गया है। खासकर महिलाएं, जिन्हें आमतौर पर सूखी लकड़ी और चारापत्ती लाने के लिए दूर-दूर तक जाना पड़ता है, वे भी इस कठिनाई का सामना कर रही हैं।

“महिलाएं भी नहीं जा पा रही हैं चारापत्ती लेने”

ईराणी गांव के चंदू नेगी का कहना है कि गांव में करीब एक फीट तक बर्फ जमा हो गई है। उन्होंने बताया, “महिलाएं चारापत्ती लेने भी नहीं जा पा रही हैं।” यह स्थिति ग्रामीण जीवन की कठिनाइयों को उजागर करती है, जहां बर्फबारी के कारण रोजमर्रा के कार्य भी रुक गए हैं।

रामणी गांव के निवर्तमान ग्राम प्रधान सूरज पंवार का कहना है कि “गांव के रास्तों पर बर्फ जमा होने से फिसलन बढ़ गई है। नंदानगर-रामणी सड़क पर भी कई जगहों पर बर्फ जमा होने से वाहनों की आवाजाही खतरे के बीच हो रही है।” उन्होंने प्रशासन से जल्द सड़कें साफ करने की मांग की है ताकि लोगों को बर्फबारी के बाद जीवन की आवश्यकताओं को पूरा करने में कोई परेशानी न हो।

शीतलहर का कहर और कड़ी ठंड

रविवार सुबह कुछ देर के लिए धूप खिली, जिससे ग्रामीणों को थोड़ी राहत मिली। लेकिन बर्फबारी वाले क्षेत्रों में शीतलहर अब भी जारी है। तापमान में गिरावट और तेज हवाओं के कारण ठंड और बढ़ गई है। विशेष रूप से ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बर्फबारी के कारण ठंड का असर और भी अधिक महसूस हो रहा है।

बदरीनाथ धाम में बर्फबारी का असर

ऊंचाई वाले क्षेत्रों में स्थित बदरीनाथ धाम में तीन फीट तक ताजी बर्फ जम गई है। रविवार को धूप खिलने के बाद बदरीनाथ धाम का सौंदर्य निखरकर सामने आया। लेकिन यहां के तापमान ने भी लोगों को चुनौती दी। धाम में तापमान माइनस 14 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच चुका है। यही नहीं, नीती और माणा गांव भी बर्फ से ढक गए हैं और इन इलाकों में स्थिति सामान्य से अधिक कठिन हो गई है।

बर्फबारी के कारण ये क्षेत्र न केवल स्थानीय लोगों के लिए, बल्कि पर्यटकों के लिए भी चुनौतीपूर्ण बन गए हैं। मौसम साफ होने के बाद पाला गिरने से बर्फ ज्यादा देर तक बनी रह सकती है, जिससे रास्ते और अधिक कठिन हो सकते हैं। हालांकि, धूप खिलने के बाद बर्फबारी के कुछ असर भी देखे गए हैं, जिससे लोग राहत महसूस कर रहे हैं।

औली और ज्योतिर्मठ में पर्यटकों की बढ़ी चहल-पहल

वहीं, ऊंचाई वाले क्षेत्र जैसे औली में भी बर्फबारी जारी रही है, जिससे पर्यटकों की संख्या में बढ़ोतरी देखी गई है। थर्टी फर्स्ट (31 दिसंबर) के जश्न के लिए औली और ज्योतिर्मठ की ओर पर्यटकों का रुझान बढ़ गया है। इन स्थानों पर बर्फबारी और ठंड का आनंद लेने के लिए पर्यटक बड़ी संख्या में पहुंच रहे हैं। यह क्षेत्र अब शीतकालीन पर्यटन के लिए प्रमुख आकर्षण बन गए हैं, जहां सर्दियों का मजा लेने के लिए लोग अपनी छुट्टियां बिता रहे हैं।

पर्यटन से जुड़ी चुनौतियां

हालांकि पर्यटकों के लिए यह मौसम रोमांचक है, लेकिन स्थानीय प्रशासन और पर्यटन विभाग के लिए यह एक चुनौती बन गया है। बर्फबारी के कारण कुछ क्षेत्रों में सड़कें बंद हो गई हैं और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रशासन को विशेष कदम उठाने पड़ रहे हैं। पर्यटकों को सुरक्षित यात्रा सुनिश्चित करने के लिए सर्दियों में पहाड़ी रास्तों पर विशेष निगरानी रखी जा रही है, ताकि किसी भी अप्रिय घटना से बचा जा सके।

बर्फबारी से प्रभावित कृषि क्षेत्र

बर्फबारी का असर केवल सड़कें और आम जीवन तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह कृषि क्षेत्र पर भी गहरा प्रभाव डाल रहा है। निजमुला घाटी और आसपास के क्षेत्र में बर्फ से ढके खेतों में किसानों को अपनी फसलें सहेजने में कठिनाई हो रही है। बर्फ की मोटी परतों के कारण खेतों तक पहुंचना भी मुश्किल हो गया है, जिससे फसलों की देखभाल और कटाई में देरी हो सकती है।

अधिकांश ग्रामीण अब इस इंतजार में हैं कि बर्फ पिघले और वे अपने खेतों तक पहुंच सकें। इसके अलावा, कृषि में लगे अन्य कामों, जैसे कि बुवाई और सिंचाई, में भी रुकावट आ रही है।

सरकार और प्रशासन की तैयारी

इस स्थिति को देखते हुए राज्य सरकार और प्रशासन ने राहत कार्यों की शुरुआत की है। प्रशासन ने बर्फबारी प्रभावित क्षेत्रों में बर्फ हटाने के लिए विशेष टीमें तैनात की हैं। साथ ही, ग्रामीणों को सहायता पहुंचाने के लिए राहत शिविरों की भी व्यवस्था की जा रही है। सर्दी से बचाव के लिए प्रशासन ने कंबल, गर्म कपड़े और अन्य राहत सामग्री वितरित करने का कार्य भी तेज कर दिया है।

राहत कार्यों के तहत, बर्फ हटाने के लिए मशीनों की मदद ली जा रही है, ताकि रास्तों को जल्द से जल्द साफ किया जा सके। हालांकि, बर्फबारी के कारण यातायात की स्थिति में सुधार में समय लग सकता है, लेकिन प्रशासन इस संकट से निपटने के लिए प्रतिबद्ध है।

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