Uttarakhand

ईडी ने कार्बेट टाइगर रिजर्व मामले में हरक सिंह रावत की पत्नी और लक्ष्मी राणा से की पूछताछ

कार्बेट टाइगर रिजर्व की पाखरो रेंज में सफारी के नाम पर हजारों पेड़ों के अवैध कटान और निर्माण के मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने एक अहम कदम उठाते हुए पूर्व वन मंत्री हरक सिंह रावत की पत्नी दीप्ति रावत और रुद्रप्रयाग की पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष लक्ष्मी राणा से पूछताछ की। यह पूछताछ कार्बेट और भूमि धोखाधड़ी के मामले में मनी ट्रेल और अन्य अहम दस्तावेजों से जुड़ी थी, जिनकी छापेमारी के दौरान बरामदगी हुई थी।

ईडी द्वारा पूछताछ के दौरान क्या हुआ?

ईडी के अधिकारियों ने दीप्ति रावत और लक्ष्मी राणा से लगभग 30 सवाल किए, जो मुख्य रूप से कार्बेट मामले में अवैध पेड़ कटान और संबंधित भूमि धोखाधड़ी के दस्तावेजों से जुड़े थे। सूत्रों के अनुसार, दोनों महिलाओं के द्वारा कई सवालों के संतोषजनक जवाब नहीं दिए गए, जिसके बाद पूछताछ लगभग छह घंटे तक चली। इसके बावजूद, पूछताछ के बाद उन्हें जाने की अनुमति दी गई।

यह कोई पहली बार नहीं था जब इन दोनों महिलाओं को ईडी ने समन भेजा था। इससे पहले भी दोनों को जांच के सिलसिले में तलब किया जा चुका था। ईडी के अधिकारियों ने बताया कि यह पूछताछ कार्बेट टाइगर रिजर्व में सफारी के नाम पर किए गए अवैध कामों और धोखाधड़ी की जांच के अंतर्गत की गई थी।

हरक सिंह रावत और परिवार के अन्य सदस्यों से भी पूछताछ

इस मामले में पहले भी कई अन्य व्यक्तियों से पूछताछ की जा चुकी है, जिनमें पूर्व वन मंत्री हरक सिंह रावत, उनकी बहू अनुकृति गुसाईं, और उनके अन्य करीबी लोग शामिल हैं। इन सभी से भी ईडी ने इस मामले में गहरी पूछताछ की है, जिससे जांच की दिशा और अधिक स्पष्ट हो रही है।

ईडी की देहरादून शाखा ने दीप्ति रावत और लक्ष्मी राणा को समन भेजकर तलब किया था, ताकि इस मामले की जांच को आगे बढ़ाया जा सके। ईडी ने कार्बेट टाइगर रिजर्व में सफारी के नाम पर अवैध तरीके से पेड़ों की कटाई और भूमि धोखाधड़ी के मामले में जांच को और विस्तार देने का निर्णय लिया है।

भूमि धोखाधड़ी और साजिश की कहानी

सूत्रों के अनुसार, पूर्व वन मंत्री हरक सिंह रावत के करीबी सहयोगी बीरेंद्र सिंह कंडारी और नरेंद्र कुमार वालिया ने मिलकर हरक सिंह रावत के साथ एक साजिश रचकर एक जमीन की दो पावर ऑफ अटॉर्नी पंजीकृत कराई थी। अदालत ने संबंधित भूमि के विक्रय विलेख को रद्द कर दिया था, लेकिन इसके बावजूद यह भूमि अवैध रूप से हरक सिंह रावत की पत्नी दीप्ति रावत और उनकी करीबी सहयोगी लक्ष्मी राणा को बेची गई।

इस भूमि पर बाद में ‘पूर्णा देवी मेमोरियल ट्रस्ट’ के तहत दून इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस का निर्माण किया गया। ईडी ने इस मामले में भी जांच शुरू की है और इस भूमि के अवैध तरीके से हस्तांतरण के मामले में संबंधित आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है।

कार्बेट टाइगर रिजर्व और अवैध पेड़ कटान

कार्बेट टाइगर रिजर्व में सफारी के नाम पर हजारों पेड़ों की अवैध कटाई की बात सामने आई है। इस घपले का खुलासा होने के बाद ईडी ने इस मामले में भी अपनी जांच तेज कर दी है। पूर्व वन मंत्री हरक सिंह रावत पर आरोप है कि उन्होंने इस अवैध कार्य को अपनी सत्ता के दुरुपयोग से बढ़ावा दिया। इस मामले में कई सरकारी अधिकारियों की संलिप्तता भी सामने आ रही है, जिनकी भूमिका की जांच की जा रही है।

ईडी ने इस मामले में साक्ष्यों की जांच के साथ-साथ मनी ट्रेल की भी जांच शुरू की है। इसके अलावा, अधिकारियों ने कई जगहों पर छापेमारी भी की थी, जहां से कुछ अहम दस्तावेज भी बरामद किए गए थे, जो इस घपले से जुड़े हैं।

मनी ट्रेल और काले धन की जांच

प्रवर्तन निदेशालय ने कार्बेट टाइगर रिजर्व मामले में मनी ट्रेल की जांच भी शुरू की है। सूत्रों के अनुसार, ईडी ने कई वित्तीय लेन-देन की जांच की है, जो इस घपले से जुड़े हुए थे। इसमें विशेष ध्यान उन पैसों पर दिया गया है, जो अवैध तरीके से जमीन की खरीद-फरोख्त और पेड़ की कटाई से संबंधित थे।

इसके अलावा, ईडी द्वारा की गई छापेमारी में कुछ अहम दस्तावेज भी जब्त किए गए थे, जो इस घपले की असल सच्चाई को उजागर करने में मदद कर सकते हैं। इस मनी ट्रेल की जांच से यह भी पता चलेगा कि क्या इस घपले के पीछे किसी बड़े काले धन का लेन-देन हुआ था।

आगे की जांच और कार्रवाई

प्रवर्तन निदेशालय ने इस मामले में अपनी जांच को और तेज कर दिया है, और आगामी दिनों में कई अन्य आरोपियों से भी पूछताछ की जा सकती है। ईडी के अधिकारियों का कहना है कि इस मामले की जांच पूरी तरह से पारदर्शी तरीके से की जाएगी और किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा।

इस मामले की गहराई से जांच हो रही है और अब तक के साक्ष्य और दस्तावेजों के आधार पर यह स्पष्ट हो रहा है कि यह घपला सिर्फ एक भूमि धोखाधड़ी तक सीमित नहीं था, बल्कि इसके पीछे एक बड़े पैमाने पर अवैध तरीके से प्राकृतिक संसाधनों का दोहन किया गया था।

ईडी इस मामले में हरक सिंह रावत और उनके परिवार के अन्य सदस्यों के अलावा, उनके करीबी सहयोगियों के खिलाफ भी कार्रवाई करने की योजना बना रही है। इसके साथ ही, इस घपले के लिए जिम्मेदार सरकारी अधिकारियों के खिलाफ भी सख्त कार्रवाई की जाएगी।

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