Uttarakhand

मकर संक्रांति के पावन पर्व पर उत्तराखंड में श्रद्धालुओं का उमड़ा सैलाब, हरिद्वार और उत्तरकाशी में भारी भीड़

मकर संक्रांति का पर्व उत्तराखंड में विशेष धार्मिक महत्व रखता है, और इस अवसर पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ ने प्रदेश के विभिन्न पवित्र स्थानों पर स्नान कर पुण्य अर्जित किया। खासकर हरिद्वार और उत्तरकाशी जैसे प्रमुख धार्मिक स्थलों पर सुबह से ही श्रद्धालुओं का तांता लगा हुआ था। तड़के से ही गंगा, यमुन और भागीरथी के संगम तटों पर श्रद्धालुओं ने डुबकी लगाई, जिससे हर जगह भक्तिमय माहौल बना हुआ था।

उत्तरकाशी में गंगनानी कुंड पर उमड़े श्रद्धालु

मकर संक्रांति के दिन उत्तरकाशी के गंगनानी कुंड में स्नान करने के लिए श्रद्धालुओं का हुजूम उमड़ पड़ा। गंगनानी कुंड, जो कि गंगा और यमुन के संगम स्थल के रूप में प्रसिद्ध है, इस दिन विशेष रूप से भक्तों से भर गया। श्रद्धालु यहां तड़के से ही पहुंचे और पुण्य कमाने के लिए मां गंगा की पूजा-अर्चना की। ढोल-नगाड़ों की आवाज और गंगा के जयकारों से काशी नगरी गूंज रही थी। हर कोई आस्था और विश्वास के साथ यहां स्नान करने पहुंचा था, बावजूद इसके कि कड़ाके की ठंड के कारण वातावरण में ठंडक बनी हुई थी।

गंगनानी कुंड में स्नान के बाद श्रद्धालुओं ने पूजा की और अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए प्रार्थना की। इस पावन पर्व पर कुंड के आसपास के गांवों और दूर-दराज इलाकों से भी बड़ी संख्या में लोग पहुंचे थे। स्थानीय प्रशासन ने सुरक्षा व्यवस्था के लिए खास इंतजाम किए थे ताकि श्रद्धालुओं को कोई परेशानी न हो।

हरिद्वार में ब्रह्मकुंड पर श्रद्धालुओं का सैलाब

हरिद्वार, जो कि गंगा की तटवर्ती क्षेत्र के रूप में प्रसिद्ध है, पर भी मकर संक्रांति के दिन भारी भीड़ देखने को मिली। सुबह से ही श्रद्धालु हरिद्वार के ब्रह्मकुंड पर पहुंचे और यहां गंगा में डुबकी लगाकर पुण्य अर्जित किया। इस दिन के महत्व को देखते हुए हरिद्वार में प्रशासन ने व्यापक सुरक्षा और इंतजाम किए थे। कड़ाके की ठंड के बावजूद श्रद्धालुओं की आस्था पर कोई असर नहीं पड़ा और उन्होंने गंगा में स्नान किया।

ब्रह्मकुंड के पास ढोल-नगाड़ों की आवाज से वातावरण भक्तिमय हो गया था। गंगा के किनारे पर श्रद्धालु पूजा कर रहे थे और अपने परिवारों की सुख-समृद्धि की कामना कर रहे थे। देव डोलियों ने भी इस अवसर पर स्नान किया, जिससे यह दिन और भी खास बन गया।

हरिद्वार मेला क्षेत्र में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम

हरिद्वार में मकर संक्रांति स्नान पर्व को सकुशल संपन्न कराने के लिए प्रशासन ने विशेष सुरक्षा इंतजाम किए थे। मेला क्षेत्र को आठ जोन और 21 सेक्टरों में विभाजित किया गया था। पूरे क्षेत्र की निगरानी सीसीटीवी कैमरों के माध्यम से की जा रही थी, ताकि किसी भी अप्रिय घटना से बचा जा सके।

सुरक्षा के दृष्टिकोण से नौ पुलिस उपाधीक्षक, 11 निरीक्षक, 87 उपनिरीक्षक/अपर उपनिरीक्षक/महिला उपनिरीक्षक, 152 हेड कांस्टेबल/कांस्टेबल/महिला कांस्टेबल, 344 हेड कांस्टेबल प्रशिक्षु, पांच कंपनी पीएसी/आईआरबी, तीन टीम बम निरोधक दस्ता, एक टीम एटीएस, 16 कर्मी जल पुलिस/गोताखोर, 16 कर्मी अभिसूचना इकाई, सात यातायात उप निरीक्षक, और 37 हेड कांस्टेबल/कांस्टेबल को तैनात किया गया था। इसके अलावा, प्रशासन ने यातायात व्यवस्था को सही बनाए रखने के लिए भी विशेष प्रयास किए, ताकि श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की परेशानी का सामना न करना पड़े।

मकर संक्रांति के दिन विशेष धार्मिक आयोजन

मकर संक्रांति के दिन विशेष धार्मिक आयोजन भी किए गए। कई स्थानों पर हवन, पूजा और भजन संध्या का आयोजन किया गया। श्रद्धालु इस दिन अपने घरों में भी सूर्य देवता की पूजा करते हैं और तिल-गुड़ का सेवन कर मित्रता और सहयोग के प्रतीक के रूप में मकर संक्रांति का त्योहार मनाते हैं।

उत्तराखंड के विभिन्न जिलों से लाखों श्रद्धालु इस दिन को विशेष रूप से मनाने के लिए गंगा, यमुन, और भागीरथी के किनारे पहुंचे। खासकर हरिद्वार और उत्तरकाशी में इस दिन का महत्व अत्यधिक है, जहां लाखों लोग पुण्य कमाने के लिए स्नान करते हैं और विशेष पूजा अर्चना करते हैं।

कड़ाके की ठंड में आस्था भारी पड़ी

मकर संक्रांति के इस दिन कड़ाके की ठंड का असर स्पष्ट था, लेकिन श्रद्धालुओं की आस्था ठंड पर भारी पड़ी। हालांकि वातावरण में ठंडक बनी हुई थी, लेकिन इससे श्रद्धालुओं के उत्साह में कोई कमी नहीं आई। श्रद्धालु गंगा और भागीरथी में डुबकी लगाकर पुण्य अर्जित करने के लिए तन्मयता से जुटे रहे।

मकर संक्रांति का पर्व केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और समाज के साथ-साथ आस्था का प्रतीक है। इस दिन लोग अपनी पिछली गलतियों को छोड़कर नए साल की शुरुआत करते हैं और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए विशेष रूप से दान पुण्य करते हैं।

निष्कर्ष

मकर संक्रांति का पर्व उत्तराखंड के लिए विशेष धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व रखता है। इस दिन के दौरान उत्तरकाशी से लेकर हरिद्वार तक श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ा हुआ था। कड़ाके की ठंड और कठिन मौसम के बावजूद श्रद्धालुओं की आस्था और विश्वास ने मकर संक्रांति के पर्व को यादगार बना दिया।

प्रशासन ने इस दिन को सकुशल संपन्न कराने के लिए सुरक्षा और व्यवस्था के पुख्ता इंतजाम किए थे। उत्तराखंड के धार्मिक स्थलों पर इस दिन हुई पूजा और स्नान की भीड़ ने यह साबित कर दिया कि आस्था का कोई मुकाबला नहीं है, और लोग अपनी आस्था के लिए किसी भी कठिनाई को पार करने को तैयार रहते हैं।

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