Uttarakhand

हल्द्वानी में भाजपा के भीतर उठे विवादों के बीच गजराज बिष्ट को मिला टिकट

भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) ने हल्द्वानी-काठगोदाम नगर निगम के मेयर पद के लिए गजराज सिंह बिष्ट को अपना प्रत्याशी घोषित किया है। यह घोषणा पार्टी द्वारा दिन में ही की गई थी, जिससे गजराज ने तुरंत तीन नामांकन पत्र खरीद लिए। इस निर्णय ने पार्टी के भीतर एक धड़े को झटका दिया है, क्योंकि हल्द्वानी नगर निगम सीट के ओबीसी से सामान्य होने के बाद गजराज की टिकट की दावेदारी पर सवाल उठने लगे थे। हालांकि, गजराज ने अपनी कड़ी मेहनत और रणनीति से टिकट हासिल किया, जबकि पार्टी के भीतर कई अन्य नेताओं ने उनका विरोध किया था।

गजराज की दावेदारी और भाजपा के भीतर मंथन

हल्द्वानी नगर निगम की सीट ओबीसी से सामान्य हो जाने के बाद गजराज सिंह बिष्ट ने इस सीट के लिए टिकट की दावेदारी की थी। जब यह सीट सामान्य हुई, तो यह संभावना जताई जा रही थी कि इसे निर्वतमान मेयर जोगेंद्र रौतेला के लिए सुरक्षित किया गया हो। पार्टी के भीतर चर्चा इस बात को लेकर थी कि जोगेंद्र रौतेला को ही मेयर प्रत्याशी बनाया जा सकता है, और उनकी नजदीकी नेता भी यही कयास लगा रहे थे। भाजपा के भीतर इस मामले पर गहरे मंथन का दौर चला, जिसके कारण टिकट देने में देर हुई।

जब यह स्पष्ट हो गया कि गजराज को टिकट दिया जाएगा, तो उन्होंने तेजी से तीन नामांकन पत्र खरीद लिए और चुनावी तैयारियां शुरू कर दी। इस बीच, जोगेंद्र रौतेला ने पार्टी से संकेत मिलने पर नामांकन पत्र तक नहीं खरीदा, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि पार्टी उनके बजाय गजराज सिंह बिष्ट को उम्मीदवार बनाएगी।

गजराज सिंह बिष्ट का राजनीतिक सफर

गजराज सिंह बिष्ट का राजनीतिक सफर लंबा और संघर्षपूर्ण रहा है। उनका जन्म 5 जून 1967 को हुआ था, और उन्होंने अपनी शैक्षिक यात्रा बीए और एमए हिंदी से पूरी की। गजराज का राजनीति में पदार्पण 1989 में हुआ, जब वे युवा मोर्चा के ब्लॉक उपाध्यक्ष बने। इसके बाद उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) के विभिन्न पदों पर कार्य किया, जैसे कि जिला संयोजक एबीवीपी (1992), प्रदेश उपाध्यक्ष युवा मोर्चा उत्तराखंड (2002), प्रदेश प्रवक्ता भाजपा उत्तराखंड (2012), और प्रदेश महामंत्री (2016)।

गजराज ने 2018 से 2020 तक अध्यक्ष मंडी परिषद का पद संभाला और फिर प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य बने। इसके अलावा, वे राज्य मंत्री भी रहे हैं। उनके अनुभव और नेतृत्व कौशल ने उन्हें भाजपा के भीतर एक मजबूत स्थान दिलाया है। अब जब उन्हें हल्द्वानी नगर निगम के मेयर पद का प्रत्याशी घोषित किया गया है, तो उनके समर्थकों और विरोधियों दोनों के बीच यह निर्णय महत्वपूर्ण बना हुआ है।

टिकट मिलने के बाद गजराज का नेतृत्व और रणनीति

गजराज सिंह बिष्ट ने टिकट मिलने के बाद पार्टी के भीतर किसी प्रकार की नाराजगी को दूर करने की कोशिश की। उन्होंने उन नेताओं से व्यक्तिगत रूप से संपर्क किया, जो टिकट के प्रबल दावेदार थे, जैसे जोगेंद्र रौतेला, रेनू अधिकारी, प्रमोद टोलिया, और कौस्तुभानंद। गजराज ने इन नेताओं से मुलाकात की और पार्टी का वास्ता देकर उनका समर्थन प्राप्त किया। उन्होंने इन नेताओं से चुनाव में सफलता की दुआएं भी लीं, जिससे पार्टी में एकता बनाए रखने की कोशिश की।

इसके अलावा, गजराज के लिए यह चुनाव बहुत महत्वपूर्ण था, क्योंकि उन्हें इस बार भाजपा से टिकट पाने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ा था। भाजपा के एक सांसद ने गजराज को टिकट न देने पर इस्तीफा देने तक की धमकी दी थी। ऐसे में गजराज ने अपनी पूरी ताकत लगा दी और पार्टी से टिकट हासिल करने में सफलता प्राप्त की।

भाजपा में गजराज के खिलाफ विरोध और अंततः जीत

गजराज सिंह बिष्ट की टिकट की दावेदारी से भाजपा के भीतर एक धड़ा असंतुष्ट था। जब हल्द्वानी नगर निगम की सीट ओबीसी से सामान्य हो गई, तो एक अन्य धड़े ने व्यापारी नेता नवीन वर्मा को पार्टी में शामिल करा लिया और उनकी टिकट की संभावना जताई। हालांकि, गजराज ने कभी हार नहीं मानी और अपनी पूरी ताकत इस टिकट को हासिल करने में लगाई।

इसी बीच, कुमाऊं और गढ़वाल क्षेत्रों से एकजुट होकर गजराज के समर्थकों ने उनकी दावेदारी को मजबूती दी। भाजपा में एक सांसद ने गजराज को टिकट न देने पर पार्टी से इस्तीफा देने की धमकी दी थी, जिससे पार्टी को यह निर्णय लेने में सहूलियत हुई। अंत में, भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने गजराज को हल्द्वानी नगर निगम के मेयर पद के लिए उम्मीदवार घोषित कर दिया।

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