Uttarakhand

अब अफसर-कर्मचारी नहीं डाल सकेंगे विवादित पोस्ट, धामी सरकार ने सोशल मीडिया आचार संहिता बनाने की दिशा में बढ़ाया कदम

उत्तराखंड प्रदेश सरकार अब सरकारी अफसरों और कर्मचारियों के लिए सोशल मीडिया पर सक्रियता से जुड़ी आचार संहिता बनाने जा रही है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कार्मिक और सतर्कता विभाग को सोशल मीडिया पॉलिसी बनाने के लिए निर्देश दिए हैं। इस पॉलिसी के अंतर्गत सरकारी कर्मचारियों की सोशल मीडिया पर गतिविधियों को नियंत्रित किया जाएगा ताकि वह सरकार की छवि को नुकसान न पहुंचाएं और अनुशासन बनाए रखें। मुख्यमंत्री ने कहा है कि दो सप्ताह के भीतर इस पॉलिसी का ड्राफ्ट पेश किया जाए।

मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव आरके सुधांशु ने इस बात की पुष्टि की है कि सोशल मीडिया पॉलिसी के ड्राफ्ट पर काम किया जा रहा है। सरकार का उद्देश्य सोशल मीडिया के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए एक संतुलित और जिम्मेदार पॉलिसी तैयार करना है, जो सरकारी कर्मचारियों की सोशल मीडिया गतिविधियों को सुव्यवस्थित करने के साथ-साथ अनुशासन बनाए रखे।

सोशल मीडिया पर सरकारी कर्मचारियों की बढ़ती सक्रियता

हाल के वर्षों में सूचना प्रौद्योगिकी और स्मार्टफोन के उपयोग के कारण सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों की सोशल मीडिया पर सक्रियता बढ़ी है। सोशल मीडिया को सरकारी कामकाज और योजनाओं के प्रचार-प्रसार के लिए एक प्रभावी मंच के रूप में देखा गया है, और इसने न केवल सरकार की योजनाओं को जनता तक पहुंचाया है, बल्कि सरकारी कर्मचारियों के व्यक्तिगत जीवन और विचारों को भी सार्वजनिक रूप से उजागर किया है।

सरकार को यह गतिविधियाँ स्वीकार्य रही हैं, जब तक ये सकारात्मक रूप से सरकारी कामकाज, योजनाओं या सामाजिक गतिविधियों के प्रचार में उपयोग हो रही हैं। हालांकि, पिछले कुछ महीनों में कई ऐसे मामले सामने आए हैं, जहां सरकारी कर्मचारियों की सोशल मीडिया पोस्ट सरकार के लिए असहज और विवादास्पद साबित हुई हैं।

विवादित सोशल मीडिया पोस्ट और सरकारी प्रतिक्रिया

सोशल मीडिया पर होने वाली विवादित गतिविधियाँ अब सरकार के लिए चिंता का विषय बन गई हैं। हाल ही में, शिक्षा विभाग में कुछ शिक्षकों को उनकी विवादित सोशल मीडिया पोस्ट के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था। इन विवादों में सबसे बड़ा मामला अल्मोड़ा जिले के स्याल्दे विकास खंड स्थित एक राजकीय इंटर कॉलेज के सहायक अध्यापक का था, जिन्हें एक विवादित पोस्ट के कारण निलंबित कर दिया गया था।

इसके अलावा, अन्य सरकारी विभागों में भी ऐसे मामलों की सूचना मिली है, जहां कर्मचारियों की सोशल मीडिया गतिविधियाँ सरकार की नीतियों और योजनाओं के खिलाफ थीं। ये घटनाएँ सोशल मीडिया के बढ़ते प्रभाव और उस पर सरकारी कर्मचारियों की सक्रियता के कारण उत्पन्न हुईं, और इन्हीं घटनाओं को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार ने सोशल मीडिया आचार संहिता बनाने का निर्णय लिया है।

सोशल मीडिया पॉलिसी तैयार करने की दिशा में

सरकार ने अब सोशल मीडिया पर सक्रियता को नियंत्रित करने के लिए एक सख्त पॉलिसी बनाने का निर्णय लिया है। इसके तहत सरकारी कर्मचारियों के सोशल मीडिया उपयोग को एक मानक और नियमों के दायरे में लाया जाएगा। पॉलिसी का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सरकारी कर्मचारी अपनी पोस्टों के माध्यम से सरकार की छवि को नुकसान न पहुँचाए और न ही ऐसी गतिविधियों में शामिल हों जो प्रशासनिक अनुशासन के खिलाफ हों।

कार्मिक और सतर्कता विभाग को यह जिम्मेदारी सौंपी गई है कि वह सोशल मीडिया पॉलिसी का ड्राफ्ट तैयार करे। इसके लिए विभाग को उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा बनाई गई सोशल मीडिया पॉलिसी का अध्ययन करने की भी सलाह दी गई है। उत्तराखंड पुलिस विभाग ने पहले ही अपनी सोशल मीडिया के लिए एक एसओपी (स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर) तैयार किया है, और सरकार ने इस एसओपी का भी अध्ययन करने का निर्देश दिया है।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का कहना है कि सोशल मीडिया की दुनिया में सरकारी कर्मचारियों की भागीदारी अनिवार्य रूप से बढ़ी है, लेकिन यह जरूरी है कि उनकी सोशल मीडिया गतिविधियाँ सरकार की छवि को न बिगाड़े। एक सुव्यवस्थित और स्पष्ट पॉलिसी के जरिए सरकार इस मुद्दे का समाधान करने की दिशा में कदम बढ़ा रही है।

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