Uttarakhand

Pitru Paksha 2024: उत्तराखंड की ‘गडयाऊ’ प्रथा आत्मा खुद कहती है मैं परेशान हूं

देवभूमि उत्तराखंड, जहां देवी-देवताओं से जुड़े कई रहस्य और कथाएं प्रचलित हैं, एक अनोखी प्रथा ‘गडयाऊ’ के लिए भी प्रसिद्ध है। यह प्रथा उन आत्माओं के लिए आयोजित की जाती है जो यमलोक और पृथ्वी लोक के बीच फंसी हुई हैं। यह कोई साधारण कथा नहीं, बल्कि उन आत्माओं की सच्चाई है, जो अपनी पीड़ा को व्यक्त करने के लिए अपने परिवार के माध्यम से नृत्य और गीत गाती हैं।

गडयाऊ की विशेषता

गडयाऊ एक प्रथा है जो उन आत्माओं की मुक्ति के लिए आयोजित की जाती है, जिनकी मृत्यु किसी दुर्घटना या रहस्यमय तरीके से हुई हो। इस प्रथा का आयोजन पांच से सात दिनों तक चलता है, और इसमें ओजियों (डमरू बजाने वाले और मंत्रोच्चार करने वाले व्यक्ति) की भूमिका महत्वपूर्ण होती है।

प्रथा के पहले दिन, अतृप्त आत्मा अपने परिवार के किसी सदस्य का शरीर चुनती है। इसके बाद, आत्मा उस व्यक्ति के माध्यम से अपनी व्यथा सुनाती है। यह प्रक्रिया परिवार के लिए एक भावनात्मक अनुभव होती है, क्योंकि आत्मा अपने प्रियजनों के साथ जुड़ने का प्रयास करती है।

सुरेश की कहानी

टिहरी गढ़वाल के निवासी सुरेश ने अपने पितृ के अनुभव को साझा किया। उनके पिता, खच्चरों के माध्यम से दुकान के लिए सामान लाते थे। एक दिन, जब वह गांव से चीनी के कट्टे लेकर आ रहे थे, एक लोमड़ी ने उनके खच्चरों को विचलित कर दिया। इससे खच्चर खाई में गिर गया और गोविंदराम की मृत्यु हो गई।

सुरेश बताते हैं कि उनके पिता की मृत्यु के बाद, वह बीमार रहने लगे। डॉक्टरों के पास दिखाने के बावजूद, कोई बीमारी समझ में नहीं आई। अंततः, सुरेश ने गडयाऊ का आयोजन किया, जिसमें उनके पिता की आत्मा उनके शरीर में अवतरित हुई।

आत्मा का अनुभव

सुरेश का कहना है कि जब पितृ आपके शरीर में आते हैं, तो आपको अपनी सुध नहीं रहती। आप वही करते हैं, जो पितृ आपसे करवाना चाहते हैं। यह अनुभव बहुत भावुक होता है। पितृ अपने परिवार के सदस्यों से गले मिलते हैं, और यह क्षण सभी के लिए आंसुओं से भरा होता है।

भावनात्मक स्थिति

इसी गांव के सुनील जोशी ने बताया कि लोग नहीं चाहते कि उनके परिवार में कोई अकाल मृत्यु हो और पितृ बनकर नाचें। गडयाऊ के दौरान, जब आत्मा नाचती है, तो यह सभी को रुला देती है। लगभग सात दिन तक घर में शोक का माहौल बना रहता है, लेकिन फिर भी इस प्रथा को निभाने का महत्व महसूस किया जाता है।

शोक और सम्मान

गडयाऊ के आयोजन में, परिवार के सदस्य अपने पितरों को सम्मान देते हैं और उनकी आत्मा को शांति प्रदान करने का प्रयास करते हैं। इस प्रथा का सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व भी है। यह न केवल आत्माओं के प्रति श्रद्धा का प्रतीक है, बल्कि परिवार के सदस्यों के लिए एकजुटता का अवसर भी प्रदान करता है।

प्रथा का आयोजन

गडयाऊ के आयोजन में पहले दिन ओजियों का आह्वान किया जाता है। इसके बाद, आत्मा अपने परिवार के सदस्य के शरीर में प्रवेश करती है और अपने दुखों को व्यक्त करती है। यह प्रक्रिया लगभग एक सप्ताह तक चलती है, जिसमें परिवार के सदस्य अपनी भावनाओं को साझा करते हैं।

आत्मा का चुनाव

पहले गडयाऊ के दौरान आत्मा अपने परिवार के किसी सदस्य पर आती है। इसके बाद, अगले छह महीनों तक आत्मा का यह निर्णय होता है कि वह किसके शरीर का चुनाव करेगी। हर महीने, पितृ को नचाने का आयोजन किया जाता है, जो उनकी इच्छाओं पर निर्भर करता है।

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