Uttarakhand

उत्तराखंड पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (यूपीसीएल) से बिजली दरों में वृद्धि के प्रस्ताव पर मांगा जवाब

उत्तराखंड में बिजली दरों में बढ़ोतरी को लेकर उत्तराखंड पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (यूपीसीएल) ने 26 दिसंबर 2024 को नियामक आयोग के सामने एक पिटीशन दायर की थी। इस प्रस्ताव पर अब नियामक आयोग ने यूपीसीएल से कई महत्वपूर्ण बिंदुओं पर स्पष्टता मांगी है। आयोग ने यूपीसीएल को इन सवालों के जवाब देने के लिए 6 जनवरी 2025 तक का समय दिया है। इसके बाद ही आयोग आगामी कार्रवाई करेगा, जिससे यह स्पष्ट हो सकेगा कि प्रस्तावित बिजली दरों में बढ़ोतरी एक अप्रैल 2025 से लागू होगी या नहीं।

आयोग ने यूपीसीएल से मांगे हैं कई स्पष्टifications

यूपीसीएल के द्वारा दायर की गई पिटीशन का अध्ययन करने के बाद, नियामक आयोग के अधिकारियों ने कुछ प्रमुख बिंदुओं पर आपत्ति जताई है। आयोग ने पूछा है कि बिजली दरों में बढ़ोतरी के लिए जिन कारकों का हवाला दिया गया है, उनका आधार क्या है? इसके अलावा, आयोग ने यूपीसीएल से यह भी पूछा है कि पिछले वित्तीय वर्ष की वसूली के लिए प्रस्तावित 12 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क को किन मदों में रखा गया है, और इसके बारे में प्रमाण एवं तथ्यों के साथ विस्तृत जानकारी प्रदान की जाए।

आयोग के एक आला अधिकारी ने बताया, “हमने यूपीसीएल को पत्र भेजा है और उनसे बिंदुवार जानकारी मांगी है। वे 6 जनवरी 2025 तक जवाब देंगे, उसके बाद इस पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।”

नई बिजली दरें 1 अप्रैल से लागू होने की उम्मीद

यूपीसीएल का प्रस्तावित बढ़ोतरी एक अप्रैल 2025 से लागू होने की उम्मीद जताई जा रही है। इसके बावजूद, इससे पहले आयोग को प्रस्तावित दरों पर जनसुनवाई करनी होगी और इसके बाद ही अंतिम निर्णय लिया जाएगा। आयोग ने यूपीसीएल से जो जानकारी मांगी है, उसे प्राप्त करने के बाद ही यह सुनवाई आयोजित की जाएगी। जनसुनवाई के दौरान, आम लोग और विभिन्न हितधारक बिजली दरों में बढ़ोतरी पर अपनी राय रख सकेंगे, जो आयोग के निर्णय पर प्रभाव डाल सकती है।

पुराना 4,300 करोड़ रुपये का हिसाब अभी नहीं शामिल

यूपीसीएल ने जो बिजली दरों में बढ़ोतरी का प्रस्ताव भेजा है, उसमें उत्तराखंड के विभाजन के समय का पुराना 4,300 करोड़ रुपये का हिसाब शामिल नहीं है। यह आंकड़ा उस वसूली से संबंधित है, जिसे राज्य सरकार को यूपी और उत्तराखंड के बीच बिजली आपूर्ति के बंटवारे के दौरान समायोजित करना था। हालांकि, राज्य सरकार अभी तक इस मुद्दे पर कोई निर्णय नहीं ले पाई है, और इसलिए यूपीसीएल का प्रस्ताव इस वसूली के बिना तैयार किया गया है।

सूत्रों के मुताबिक, उत्तराखंड सरकार ने इस मामले पर अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। राज्य सरकार को इस पुराने बकाए के संबंध में निर्णय लेना है, लेकिन अब तक इस पर कोई सहमति नहीं बन पाई है। इसका असर इस प्रस्तावित बढ़ोतरी पर पड़ सकता है, क्योंकि जब तक यह पुराना हिसाब हल नहीं होता, तब तक दरों में बढ़ोतरी के प्रस्ताव का एक अहम पहलू अधूरा रहेगा।

यूपीसीएल की वित्तीय स्थिति और बढ़ोतरी की आवश्यकता

उत्तराखंड पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (यूपीसीएल) ने अपनी पिटीशन में यह तर्क दिया था कि बढ़ती हुई लागतों और वित्तीय घाटे को ध्यान में रखते हुए बिजली दरों में बढ़ोतरी आवश्यक है। कंपनी का कहना है कि विभिन्न कारकों जैसे कि बढ़ती हुई बिजली उत्पादन लागत, महंगे आयातित कोयले की कीमतें और अन्य परिचालन लागतों के कारण उसे वित्तीय रूप से दबाव का सामना करना पड़ रहा है। इसके अलावा, यूपीसीएल को अपने बुनियादी ढांचे को सुधारने, नए बिजली संयंत्रों में निवेश करने और पुराने उपकरणों को अपग्रेड करने की आवश्यकता भी महसूस हो रही है। इन सभी कारणों के मद्देनजर, यूपीसीएल ने बिजली दरों में वृद्धि की आवश्यकता जताई थी।

जनता पर बढ़ती बिजली दरों का प्रभाव

यदि नियामक आयोग द्वारा प्रस्तावित दरों में बढ़ोतरी को मंजूरी मिल जाती है, तो उत्तराखंड के उपभोक्ताओं को इसका सीधा असर देखने को मिलेगा। बढ़ी हुई दरों का प्रभाव घरेलू और उद्योगों दोनों ही वर्गों पर पड़ेगा। घरेलू उपभोक्ताओं को जहां बिजली के बिल में बढ़ोतरी का सामना करना पड़ेगा, वहीं उद्योगों को भी अपनी उत्पादन लागत में वृद्धि का सामना करना पड़ सकता है, जो अंततः उनके उत्पादों की कीमतों में इजाफा कर सकता है।

यूपीसीएल द्वारा प्रस्तावित वृद्धि के बारे में आम जनता में चिंता बनी हुई है। कई उपभोक्ताओं का कहना है कि बिजली की दरों में लगातार बढ़ोतरी के कारण उनके मासिक बजट पर गंभीर असर पड़ता है। राज्य सरकार के लिए यह एक चुनौतीपूर्ण स्थिति है, क्योंकि उसे उपभोक्ताओं की चिंता और बिजली वितरण कंपनी की वित्तीय स्थिति के बीच संतुलन बनाए रखना होगा।

यूपीसीएल का जवाब और आयोग की प्रक्रिया

यूपीसीएल को 6 जनवरी 2025 तक नियामक आयोग द्वारा पूछे गए सवालों का जवाब देने के बाद, आयोग पिटीशन पर अंतिम निर्णय लेगा। इसके बाद, आयोग जनसुनवाई की प्रक्रिया शुरू करेगा, जिसमें आम नागरिक और अन्य हितधारक अपनी राय रख सकेंगे। इसके बाद आयोग प्रस्तावित दरों को अंतिम रूप से स्वीकृत या अस्वीकृत करेगा। यदि दरों में बढ़ोतरी को मंजूरी मिलती है, तो यह एक अप्रैल 2025 से लागू हो सकती है।

अंतिम निर्णय का उपभोक्ताओं पर सीधा असर पड़ेगा, क्योंकि नई दरों का भुगतान करने के लिए उन्हें अपनी बिजली खपत पर ध्यान देना होगा। राज्य सरकार और यूपीसीएल दोनों को इस मामले में जनता की चिंता को ध्यान में रखते हुए उचित कदम उठाने होंगे, ताकि बिजली दरों में बढ़ोतरी से कोई बड़ी असंतोषजनक स्थिति न उत्पन्न हो।

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