Uttarakhand

उत्तराखंड की ग्रीन बोनस की मजबूत पैरवी, 16वें वित्त आयोग से तीन लाख करोड़ की पर्यावरणीय सेवाओं का मिलेगा लाभ

देहरादून: उत्तराखंड, जिसे पर्यावरणीय सेवाओं के लिहाज से एक प्रमुख राज्य माना जाता है, अब इन सेवाओं के लिए ग्रीन बोनस की मांग को लेकर 16वें वित्त आयोग के सामने मजबूती से पैरवी करने की तैयारी कर रहा है। हिमालयी राज्य की सरकार, खासकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अगुवाई में, पर्यावरणीय सेवाओं के आंकड़े और तथ्यों के साथ एक तार्किक रिपोर्ट तैयार कर रही है, जिसे जल्द ही वित्त आयोग को सौंपा जाएगा। इस रिपोर्ट का मुख्य उद्देश्य राज्य को मिलने वाली पर्यावरणीय सेवाओं का उचित मुआवजा सुनिश्चित करना है।

यह कदम उत्तराखंड के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि राज्य में स्थित जंगल, वन्यजीव अभयारण्यों, नदियों और अन्य प्राकृतिक संसाधनों की देशभर में अत्यधिक महत्वता है। उत्तराखंड न सिर्फ अपनी जैव विविधता और पर्यावरणीय तंत्र के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि इन संसाधनों का उपयोग अन्य राज्यों के लिए भी हो रहा है। ऐसे में, राज्य सरकार का यह प्रयास है कि उसे इन पर्यावरणीय सेवाओं के लिए उचित वित्तीय लाभ मिल सके।

ग्रीन बोनस की आवश्यकता और राज्य की भूमिका

उत्तराखंड का भौगोलिक क्षेत्र 71.08% वन क्षेत्र से ढका हुआ है। इन जंगलों में साल, चीड़, देवदार, फर, बांज और अन्य प्रकार के उच्च गुणवत्ता वाले वृक्षों की प्रजातियाँ पाई जाती हैं। इन क्षेत्रों में वन्यजीवों का एक समृद्ध जीवन चक्र भी विकसित हुआ है, जिसमें तेंदुआ, भालू, बाघ, हाथी, और विभिन्न प्रकार के पक्षी शामिल हैं। इसके अलावा, राज्य के जंगलों में कई प्रकार के औषधीय पौधे भी पाए जाते हैं, जिनका महत्व वैश्विक स्तर पर स्वीकार किया गया है।

इस सब के अलावा, उत्तराखंड के जंगलों और जलस्रोतों से प्राप्त होने वाली पर्यावरणीय सेवाओं का लाभ केवल राज्य तक ही सीमित नहीं है, बल्कि ये पूरे देश के लिए अहम हैं।

जलवायु, वन्यजीव और जल संसाधन: राज्य के अहम पर्यावरणीय सेवाएं

उत्तराखंड में स्थित प्रमुख नदियाँ जैसे गंगा, यमुना, अलकनंदा, मंदाकिनी आदि का जल न केवल राज्य की कृषि और जनसंख्या की जरूरतों को पूरा करता है, बल्कि यह उत्तर भारत के कई अन्य राज्यों के लिए भी महत्वपूर्ण जल स्रोत हैं। इन नदियों की जीवनदायिनी भूमिका के कारण राज्य की जलवायु और जलवायु तंत्र का संरक्षण पूरे देश के लिए एक बड़ी जिम्मेदारी बन जाता है।

इसके अलावा, राज्य में स्थित सात प्रमुख वन्यजीव अभयारण्यों और चार संरक्षित आरक्षित वन, जो न सिर्फ जंगलों की हरे-भरे तंत्र की रक्षा करते हैं, बल्कि वन्यजीवों के प्राकृतिक आवास की सुरक्षा भी सुनिश्चित करते हैं, एक महत्वपूर्ण पर्यावरणीय सेवा प्रदान करते हैं। इन अभयारण्यों और संरक्षित वन क्षेत्रों में उभरते हुए विभिन्न वनस्पति और वन्यजीवों की प्रजातियाँ पूरी दुनिया के लिए आकर्षण का केंद्र बन चुकी हैं।

उत्तराखंड के लिए पर्यावरणीय सेवाओं का महत्व

उत्तराखंड में स्थित इन प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग न सिर्फ राज्य, बल्कि देश के अन्य हिस्सों द्वारा भी किया जाता है। उदाहरण के लिए, उत्तराखंड की नदियाँ और जलस्रोत न केवल राज्य के लिए बल्कि उत्तर भारत के कई राज्यों के लिए भी महत्वपूर्ण जल आपूर्ति का स्रोत हैं। इसके अलावा, राज्य के जंगलों से उत्पन्न होने वाली जैविक विविधता और पर्यावरणीय सेवाएं देशभर के लिए एक बड़े लाभ का कारण बनती हैं।

हालाँकि इन सभी संसाधनों का संरक्षण और रख-रखाव की जिम्मेदारी राज्य सरकार पर है। और इन जिम्मेदारियों के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण के कायदों के कारण राज्य का विकास भी प्रभावित हुआ है। राज्य सरकार का मानना है कि उसे इन सेवाओं का उचित मुआवजा मिलना चाहिए, ताकि न सिर्फ संसाधनों का संरक्षण किया जा सके, बल्कि विकास में भी और अधिक गति लाई जा सके।

ग्रीन बोनस की मांग और 16वें वित्त आयोग का महत्व

उत्तराखंड की सरकार पहले भी ग्रीन बोनस की मांग कर चुकी है, लेकिन अब तक इस मुद्दे पर कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया है। इसके बावजूद, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की सरकार ने इस मुद्दे को फिर से प्रमुखता से उठाने का निर्णय लिया है।

फाइनेंशियल रिसोर्सेज के संदर्भ में, राज्य सरकार ने अपने प्रयासों को और तेज कर दिया है। इस बार सरकार ने गोविंद बल्लभ पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान (GBPNIHE) को इस मामले में रिपोर्ट तैयार करने का जिम्मा सौंपा है। अल्मोड़ा स्थित इस संस्थान ने पर्यावरणीय सेवाओं के लाभ का आकलन करने के लिए विभिन्न वैज्ञानिक और तकनीकी अध्ययन किए हैं, जिनके आधार पर एक तार्किक रिपोर्ट तैयार की जा रही है।

सचिव नियोजन आर मीनाक्षी सुंदरम ने जानकारी दी कि वित्त आयोग अप्रैल तक उत्तराखंड का दौरा कर सकता है, और इस रिपोर्ट को उससे पहले पेश कर दिया जाएगा। इस रिपोर्ट के जरिए राज्य सरकार अपने तर्कों को प्रस्तुत करेगी, ताकि ग्रीन बोनस के रूप में राज्य को मिलने वाले वित्तीय संसाधनों में वृद्धि हो सके।

वित्तीय प्रभाव और राज्य के विकास पर असर

उत्तराखंड की सरकार का मानना है कि ग्रीन बोनस मिलने से राज्य के आर्थिक विकास को एक नई दिशा मिलेगी। क्योंकि राज्य का अधिकांश क्षेत्र वन और जलस्रोतों से जुड़ा हुआ है, और इनका संरक्षण वित्तीय संसाधनों पर निर्भर करता है। अगर वित्त आयोग द्वारा राज्य को उचित ग्रीन बोनस दिया जाता है, तो इससे न सिर्फ राज्य के पर्यावरणीय तंत्र का संरक्षण होगा, बल्कि आर्थिक विकास भी तेज़ी से संभव हो सकेगा।

इसके अतिरिक्त, राज्य सरकार की योजना है कि इस बोनस का उपयोग न सिर्फ पर्यावरणीय सेवाओं के संरक्षण के लिए किया जाएगा, बल्कि इसे राज्य की बुनियादी सुविधाओं जैसे सड़कें, बिजली, पानी, स्वास्थ्य, और शिक्षा में भी निवेश किया जाएगा।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button