Uttarakhand

UTTARAKHAND: द्रोणाचार्य पुरस्कार से सम्मानित कोच सुभाष राणा को सीएम पुष्कर सिंह धामी ने दी बधाई

उत्तराखंड के प्रतिष्ठित शूटर और कोच सुभाष राणा को हाल ही में द्रोणाचार्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सुभाष राणा को द्रोणाचार्य पुरस्कार मिलने पर उन्हें बधाई दी और कहा, “सुभाष राणा ने न केवल उत्तराखंड का नाम रोशन किया है, बल्कि उन्होंने भारतीय खेल क्षेत्र में भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। उनका यह पुरस्कार उत्तराखंड के खेल प्रेमियों और प्रशिक्षकों के लिए प्रेरणा का स्रोत है।” मुख्यमंत्री धामी ने यह भी कहा कि 38वें राष्ट्रीय खेलों का आयोजन राज्य के लिए एक नई शुरुआत होगी, जो न केवल राज्य के खिलाड़ियों के लिए नए अवसर खोलेगा, बल्कि इससे राज्य के खेल ढांचे का भी विकास होगा।

धामी ने सभी खिलाड़ियों और प्रशिक्षकों से अपील की, “यह आयोजन खेलों के क्षेत्र में उत्तराखंड को एक नई दिशा देगा। मैं सभी खिलाड़ियों और प्रशिक्षकों से आग्रह करता हूं कि वे राष्ट्रीय खेलों में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करें और इस आयोजन को ऐतिहासिक बनाएं।”

राणा ने इस पुरस्कार को अपनी कड़ी मेहनत और समर्पण का परिणाम बताते हुए खुशी व्यक्त की। साथ ही उन्होंने 38वें राष्ट्रीय खेलों की मेज़बानी को उत्तराखंड के लिए एक ऐतिहासिक अवसर माना है। उनका मानना है कि इन खेलों के आयोजन से राज्य में खेलों के लिए एक मजबूत आधारभूत ढांचा तैयार होगा, जिससे राज्य की खेल प्रतिभाओं को बाहर प्रशिक्षण के लिए नहीं जाना पड़ेगा। इसके साथ ही, अन्य राज्यों से खिलाड़ी भी यहां प्रशिक्षण के लिए आएंगे, जिससे खेल पलायन की समस्या पर काबू पाया जा सकेगा।

राष्ट्रीय खेलों का आयोजन उत्तराखंड के लिए एक नई दिशा

सुभाष राणा ने कहा, “38वें राष्ट्रीय खेलों का आयोजन हमारे राज्य के लिए किसी सौगात से कम नहीं है। इस आयोजन के दौरान जो खेल ढांचा उत्तराखंड में तैयार होगा, वह भविष्य में राज्य की खेलों को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाएगा।” उनका मानना है कि इस बड़े आयोजन के कारण उत्तराखंड में वह बुनियादी सुविधाएं तैयार हो जाएंगी, जिनका राज्य को दशकों से इंतजार था। इस आयोजन से न केवल राज्य की खेल व्यवस्थाएं मजबूत होंगी, बल्कि राज्य में खेलों के लिए नए प्रशिक्षण केंद्र भी स्थापित होंगे, जो स्थानीय खिलाड़ियों को उच्च स्तर की ट्रेनिंग देने में सक्षम होंगे।

राणा ने आगे कहा कि जहां पहले खिलाड़ी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं की तैयारी के लिए अन्य राज्यों का रुख करते थे, अब उन खिलाड़ियों को अपनी आवश्यकताओं के लिए बाहरी राज्यों में जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। इसके अलावा, उनका यह भी मानना है कि इस आयोजन से उत्तराखंड में खेलों के प्रति न केवल बढ़ती हुई रुचि को बल मिलेगा, बल्कि अन्य राज्यों के खिलाड़ी भी राज्य में प्रशिक्षण के लिए आना शुरू हो जाएंगे। इससे न केवल राज्य की खेल प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी, बल्कि यह खेल पलायन की समस्या को भी रोकेगा, जिसमें खिलाड़ी अन्य राज्यों के लिए खेलने के लिए मजबूर होते थे।

द्रोणाचार्य पुरस्कार मिलने पर क्या बोले सुभाष राणा?

द्रोणाचार्य पुरस्कार मिलने के बाद सुभाष राणा ने इसे अपने काम की मान्यता बताते हुए खुशी का इज़हार किया। राणा ने कहा, “जब आपके काम को राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता मिलती है, तो स्वाभाविक रूप से उत्साह बढ़ता है और खुशी मिलती है। यह पुरस्कार मुझे और मेरे सभी साथियों के परिश्रम का फल है।” उनके अनुसार, यह पुरस्कार न केवल उनकी व्यक्तिगत सफलता है, बल्कि यह उत्तराखंड के खेल विकास की दिशा में किए गए सामूहिक प्रयासों का परिणाम भी है।

सुभाष राणा ने 38वें राष्ट्रीय खेलों के आयोजन को खेल विकास के लिए एक बड़ा अवसर बताया और कहा, “यह आयोजन खेलों के क्षेत्र में उत्तराखंड के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है। राष्ट्रीय खेलों में हर बार जहां आयोजन होता है, वहां खेल ढांचा मजबूत होता है। अब उत्तराखंड में जो खेल ढांचा तैयार होगा, वह राज्य की खेल प्रतिभाओं को अपनी कड़ी मेहनत और समर्पण के साथ बेहतर प्रदर्शन करने का मौका देगा।”

उत्तराखंड से खेलने के लिए बढ़ रही इच्छाएं

सुभाष राणा ने यह भी खुलासा किया कि इस आयोजन के चलते उत्तराखंड से खेलों में भाग लेने के लिए अन्य राज्यों के खिलाड़ियों की रुचि बढ़ी है। कई खिलाड़ी, जो पहले अन्य राज्यों का प्रतिनिधित्व करते थे, अब उत्तराखंड से खेलों में भाग लेने के लिए इच्छुक हैं। राणा ने इस बात की पुष्टि की कि ऐसे कई खिलाड़ी उनसे व्यक्तिगत तौर पर संपर्क कर चुके हैं और अब राज्य की शूटिंग फेडरेशन के माध्यम से प्रशिक्षण प्राप्त करने की इच्छा जता रहे हैं।

“यह केवल शूटिंग तक सीमित नहीं है, बल्कि अन्य खेलों के खिलाड़ी भी अब उत्तराखंड में प्रशिक्षण लेने के लिए उत्सुक हैं। यह बदलाव राज्य के खेल विकास में महत्वपूर्ण योगदान देगा,” राणा ने कहा। इस सकारात्मक बदलाव का एक मुख्य कारण राज्य में तैयार हो रहे खेल ढांचे को माना जा सकता है, जो इस आयोजन के दौरान पूरी तरह से तैयार हो जाएगा।

सुभाष राणा की कोचिंग यात्रा और उपलब्धियां

सुभाष राणा का नाम भारतीय शूटरिंग में एक अहम स्थान रखता है। राणा के खाते में चार अंतर्राष्ट्रीय स्वर्ण और दो रजत पदक शामिल हैं। उन्होंने 1994 में इटली और 1998 में स्पेन में हुई विश्व शूटिंग चैंपियनशिप में भाग लिया और शानदार प्रदर्शन किया। लेकिन उनकी उपलब्धियों का दायरा सिर्फ खिलाड़ी तक सीमित नहीं है। कोचिंग के क्षेत्र में भी सुभाष राणा ने महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

वह भारतीय पैरा शूटिंग टीम के कोच रहे हैं और उन्होंने 2020 के टोक्यो पैरालंपिक में भारतीय टीम को प्रशिक्षण दिया था। इस टीम ने पैरालंपिक में पांच मेडल जीते थे, जो कि भारतीय पैरा शूटिंग का एक अभूतपूर्व प्रदर्शन था। राणा की कोचिंग में भारतीय पैरा शूटिंग टीम ने कई अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में शानदार प्रदर्शन किया और विश्वभर में भारत का नाम रोशन किया।

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