उत्तराखंड सरकार ने 2025 के सार्वजनिक अवकाश का कैलेंडर जारी किया
नए साल की शुरुआत से ठीक पहले उत्तराखंड सरकार ने 2025 के सार्वजनिक अवकाशों का कैलेंडर जारी कर दिया है। इस कैलेंडर को सचिव सामान्य प्रशासन, विनोद कुमार सुमन द्वारा जारी किया गया है। इसमें कुल 25 सार्वजनिक अवकाश शामिल किए गए हैं, जो विभिन्न धार्मिक, सांस्कृतिक और राष्ट्रीय त्योहारों के अवसर पर होंगे। सरकार ने इस कैलेंडर में राज्य की संस्कृति, परंपराओं और धार्मिक विविधताओं को ध्यान में रखते हुए प्रमुख अवकाशों की घोषणा की है।
प्रमुख अवकाशों की घोषणा: होली, हरेला और ईगास-बग्वाल समेत 25 दिन का अवकाश
उत्तराखंड में 2025 में भी कई प्रमुख त्योहारों और सांस्कृतिक आयोजनों पर सार्वजनिक अवकाश रहेगा। इस साल के कैलेंडर में उत्तराखंड के दो प्रमुख स्थानीय त्योहारों – हरेला और ईगास-बग्वाल को भी सार्वजनिक अवकाश के रूप में रखा गया है। इसके अलावा, होली पर दो दिन का अवकाश रहेगा, जो 13 और 14 मार्च को होगा।
अवकाशों की सूची में गणतंत्र दिवस (26 जनवरी), महाशिवरात्रि (26 फरवरी), ईद-उल-फितर (31 मार्च), राम नवमी (6 अप्रैल), महावीर जयंती (10 अप्रैल), आंबेडकर जयंती (14 अप्रैल), गुड फ्राइडे (18 अप्रैल), बुद्ध पूर्णिमा (12 मई) जैसी महत्वपूर्ण तिथियों पर भी सार्वजनिक अवकाश रखा गया है।
इस कैलेंडर में उत्तराखंड के पारंपरिक त्योहारों को भी जगह दी गई है, जैसे हरेला (16 जुलाई) और ईगास-बग्वाल (1 नवंबर)। हरेला उत्तराखंड का प्रमुख पर्व है, जो वर्षा ऋतु की शुरुआत के समय मनाया जाता है और राज्य में फसल उत्पादन के महत्व को दर्शाता है। वहीं, ईगास-बग्वाल भी एक पारंपरिक त्योहार है, जो कृषि और समृद्धि के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है।
दो दिन का होली अवकाश: 13 और 14 मार्च
इस साल होली के अवसर पर उत्तराखंड सरकार ने दो दिन का सार्वजनिक अवकाश घोषित किया है। होली का अवकाश 13 मार्च (होलिका दहन) और 14 मार्च (होली) को रहेगा। होली, भारत और विशेष रूप से उत्तराखंड में एक महत्वपूर्ण और पारंपरिक त्योहार है, जिसमें लोग एक-दूसरे के साथ रंग खेलकर भाईचारे का संदेश देते हैं।
अन्य महत्वपूर्ण अवकाश
अवकाशों की सूची में कई प्रमुख धार्मिक और राष्ट्रीय त्योहारों के अवसर पर छुट्टियां घोषित की गई हैं।
- गणतंत्र दिवस – 26 जनवरी
- महाशिवरात्रि – 26 फरवरी
- ईद-उल-फितर – 31 मार्च
- राम नवमी – 6 अप्रैल
- महावीर जयंती – 10 अप्रैल
- आंबेडकर जयंती – 14 अप्रैल
- गुड फ्राइडे – 18 अप्रैल
- बुद्ध पूर्णिमा – 12 मई
- ईद-उल-जुहा – 7 जून
- मुहर्रम – 6 जुलाई
- रक्षाबंधन – 9 अगस्त
- स्वतंत्रता दिवस – 15 अगस्त
- ईद मिलाद – 5 सितंबर
- गांधी जयंती – 2 अक्टूबर
- दशहरा – 2 अक्टूबर
- वाल्मिकी जयंती – 7 अक्टूबर
- दीपावली – 20 अक्टूबर
- गोवर्धन पूजा – 22 अक्टूबर
- गुरु नानक जयंती – 5 नवंबर
- क्रिसमस – 25 दिसंबर
इन अवकाशों में राज्य के विभिन्न समुदायों और धर्मों के त्योहारों को शामिल किया गया है, जो राज्य की सांस्कृतिक विविधता को दर्शाते हैं। खासकर, ईद-उल-फितर, ईद-उल-जुहा, और ईद मिलाद जैसे मुस्लिम त्योहारों के साथ-साथ महाशिवरात्रि, राम नवमी, और गुरु नानक जयंती जैसे हिंदू और सिख त्योहारों को भी अवकाश के रूप में शामिल किया गया है। यह दर्शाता है कि राज्य सरकार सभी धर्मों और समुदायों का समान रूप से सम्मान करती है।
सांस्कृतिक और धार्मिक पर्वों का महत्व
उत्तराखंड में विशेष रूप से धार्मिक और सांस्कृतिक पर्वों का महत्व अधिक है। इन पर्वों के माध्यम से लोग अपनी सांस्कृतिक धरोहर, परंपराओं और रीति-रिवाजों को जीवित रखते हैं। हरेला और ईगास-बग्वाल जैसे पर्व राज्य के कृषि और ग्रामीण जीवन से जुड़े हैं। इन पर्वों के दौरान, ग्रामीण समुदाय अपने खेतों की फसल की सफलता की कामना करते हैं और अच्छे समय की शुरुआत का स्वागत करते हैं।
दूसरी ओर, दीपावली और होली जैसे त्योहार न केवल धार्मिक महत्व रखते हैं, बल्कि सामाजिक मेलजोल और भाईचारे की भावना को भी बढ़ावा देते हैं। इन त्योहारों के दौरान लोग अपने रिश्तेदारों और दोस्तों से मिलते हैं, एक-दूसरे को बधाइयां देते हैं और खुशियों का आदान-प्रदान करते हैं।
सरकारी कर्मचारियों के लिए विशेष ध्यान
उत्तराखंड में सरकारी कर्मचारियों के लिए यह कैलेंडर एक महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश है, क्योंकि इससे उन्हें अपने छुट्टियों के दिनों का सही अनुमान होता है। सार्वजनिक अवकाश के दौरान सरकारी दफ्तर बंद रहते हैं, जिससे कर्मचारियों को त्योहारों को पूरी तरह से मनाने का समय मिलता है। इसके अलावा, इन छुट्टियों का महत्व स्कूलों, कॉलेजों और अन्य संस्थानों में भी होता है, जहां छात्रों और कर्मचारियों के लिए यह समय छुट्टियों का आनंद लेने का अवसर होता है।