UTTARAKHAND : धामी सरकार की नई आवास नीति में गरीबों के लिए आवास का सपना पूरा करने के नए अवसर

उत्तराखंड की धामी सरकार ने गरीबों के लिए आवास के क्षेत्र में महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं। नई आवास नीति के तहत, राज्य सरकार ने विकासकर्ताओं के लिए कई प्रोत्साहन और छूट की घोषणा की है, ताकि वे गरीबों को सस्ते और बेहतर आवास उपलब्ध करा सकें। इस नीति में विशेष रूप से ईडब्ल्यूएस (आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग) के लिए सस्ती आवास योजना पर ध्यान दिया गया है। सरकार ने इस योजना के तहत न केवल वित्तीय सहायता बढ़ाई है, बल्कि बैंकों से लोन लेने की प्रक्रिया को भी सरल बना दिया है।
ईडब्ल्यूएस श्रेणी में वित्तीय सहायता: राज्य और केंद्र सरकार का योगदान
नई आवास नीति के अनुसार, ईडब्ल्यूएस श्रेणी के तहत ₹9 लाख तक की कीमत वाले घरों के निर्माण पर राज्य और केंद्र सरकार एक साथ 3.5 लाख से 4.5 लाख रुपये की सहायता प्रदान करेंगी। इस सहायता के बाद, लाभार्थी को केवल ₹4.5 लाख से ₹5.5 लाख तक की राशि ही चुकानी होगी। इस योजना के तहत बैंकों से लोन लेने की प्रक्रिया को भी आसान बनाया गया है, ताकि लाभार्थियों के लिए घर खरीदने का खर्च कम हो सके।
मैदानी क्षेत्रों में, प्रति आवास ₹9 लाख तक की सीमा निर्धारित की गई है। इसमें ₹5.5 लाख रुपये लाभार्थी को देने होंगे, जबकि ₹2 लाख रुपये राज्य सरकार और ₹1.5 लाख रुपये केंद्र सरकार द्वारा दिए जाएंगे। साथ ही, आवास निर्माण करने वाले विकासकर्ताओं को ₹9 लाख या ₹30,000 प्रति वर्ग मीटर, जो भी अधिक होगा, वह मिलेगा।
पर्वतीय क्षेत्रों में बाखली शैली की छूट
पर्वतीय क्षेत्रों में विशेष रूप से बाखली शैली में भवनों का निर्माण किया जाएगा, जिसमें विकासकर्ताओं को अतिरिक्त छूट मिलेगी। यहां ईडब्ल्यूएस श्रेणी के आवास की कुल लागत ₹9 लाख होगी, लेकिन लाभार्थी को केवल ₹4.5 लाख ही चुकाने होंगे। इसके अलावा, राज्य सरकार ₹3 लाख और केंद्र सरकार ₹1.5 लाख रुपये का अनुदान देगी। इससे यह सुनिश्चित होगा कि पर्वतीय क्षेत्रों में रहने वाले गरीबों को भी सस्ती और सुविधाजनक आवास मिल सके।
स्टाम्प शुल्क और पंजीकरण शुल्क में छूट
नई आवास नीति में स्टाम्प शुल्क और पंजीकरण शुल्क में भी भारी छूट दी गई है। ईडब्ल्यूएस के लिए स्टाम्प शुल्क ₹1,000, एलआईजी के लिए ₹5,000 और एलएमआईजी के लिए ₹10,000 तय किया गया है। पहले जहां 6% स्टाम्प शुल्क और 2% पंजीकरण शुल्क लिया जाता था, वहीं अब इसे घटाकर बहुत कम कर दिया गया है। उदाहरण के तौर पर, यदि किसी घर की कीमत ₹10 लाख है, तो पहले ₹60,000 स्टाम्प शुल्क और ₹20,000 पंजीकरण शुल्क देना पड़ता था, लेकिन अब यह खर्च महज ₹1,500 (₹500 पंजीकरण शुल्क) रहेगा।
इसके अलावा, बैंक से लोन लेने पर अनुबंध पर स्टाम्प शुल्क में भी छूट दी गई है। पहले 0.5% का स्टाम्प शुल्क लिया जाता था, जो अब नहीं लिया जाएगा। इसका सीधा फायदा यह होगा कि 10 लाख रुपये के आवास पर ₹5,000 तक की बचत होगी। इस तरह से, सरकार ने गरीबों के लिए घर खरीदने की प्रक्रिया को काफी सस्ता और सरल बना दिया है।
भूमि उपयोग परिवर्तन और नक्शा पास कराने की प्रक्रिया
ईडब्ल्यूएस आवास परियोजनाओं के लिए भूमि उपयोग परिवर्तन को अब तीन महीने के भीतर निपटाया जाएगा। साथ ही, ईडब्ल्यूएस के नक्शे को पास कराने के लिए अब कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा। इससे विकासकर्ताओं को परियोजना की शुरुआत में ही कम समय और पैसे का खर्च होगा। इसके अलावा, परियोजना के लिए जमीन खरीदने वाले विकासकर्ताओं को अलग से स्टाम्प शुल्क में छूट दी जाएगी।
परियोजना के लिए अन्य छूट और वित्तीय प्रोत्साहन
परियोजना के दौरान विकासकर्ताओं को कई अन्य छूट भी दी गई हैं। जैसे कि सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाने पर सरकार उसकी प्रतिपूर्ति करेगी। इसके साथ ही, परियोजना के लिए बैंकों से लिए गए लोन पर ब्याज की प्रतिपूर्ति भी सरकार करेगी, जिससे विकासकर्ताओं को वित्तीय राहत मिलेगी।
मैदानी क्षेत्रों में परियोजना के लिए कॉमर्शियल फ्लोर एरिया रेशियो (एफएआर) 25% तय किया गया है, जबकि पर्वतीय क्षेत्रों में यह 30% होगा। इसके अलावा, राज्य कर की प्रतिपूर्ति भी सरकार करेगी, जिससे परियोजना की लागत और भी घटेगी।
मैदान में अब ऊंची इमारतें बनेंगी
पहले जहां मैदानी क्षेत्रों में ईडब्ल्यूएस श्रेणी के लिए चार मंजिला भवनों का निर्माण किया जाता था, वहीं अब सरकार ने इस नियम में बदलाव किया है। अब ईडब्ल्यूएस आवास के लिए आठ मंजिला या 30 मीटर तक ऊंची इमारतें बनाई जा सकती हैं। इन इमारतों में लिफ्ट का भी प्रावधान होगा, जो पहले की तुलना में एक बड़ा सुधार है। हालांकि, इसके लिए यह शर्त रखी गई है कि बिल्डर को लिफ्ट का रख-रखाव 10 साल तक करना होगा।